iGrain India - नई दिल्ली । भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने अगले पांच दिनों के दौरान गुजरात तथा राजस्थान को छोड़कर देश के अन्य सभी भागों में अलग-अलग दिनों में दूर-दूर तक अच्छी वर्षा होने की संभावना व्यक्त की है।
गुजरात में पिछले तीन-चार दिनों से अत्यन्त मूसलाधार बारिश हो रही है जिससे जाम नगर, जूनागढ़, नवसारी एवं सूरत सहित कुछ अन्य जिले बाढ़ की चपेट में आ गए हैं।
इसी तरह राजस्थान के बीकानेर सहित कुछ अन्य जिलों में भारी वर्षा हुई है। लेकिन अब इसका दौर थमने की संभावना है।
देश के पूर्वी राज्यों और खासकर बिहार में मानसून पूरी तरह सक्रिय है। इसके साथ-साथ छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, महाराष्ट्र एवं झारखंड तथा दक्षिणी राज्यों में भी भारी बारिश होने का अनुमान लगाया गया है।
मौसम विभाग का कहना है कि बेशक मानसून इस बार 7 दिनों की देरी के साथ 8 जून को केरल पहुंचा था मगर इसने महज अगले 25 दिनों में यानी 2 जुलाई तक समूचे देश को कवर कर लिया। मध्य जून में बिपरजॉय तूफान के कारण कुछ दिनों तक मानसून में ठहराव आ गया था मगर 20 जून के बाद इसकी तीव्रता एवं गतिशीलता काफी बढ़ गई।
2 जुलाई को मानसून राजस्थान, हरियाणा एवं पंजाब के अछूते इलाकों में पहुंचा और इसके साथ ही सम्पूर्ण भारत की इसकी पहली परिक्रमा पूरी हो गई। सामान्यतः 8 जुलाई तक मानसून समूचे देश में पहुंचता है।
मौसम विभाग के मुताबिक मध्यमान समुद्री सतह पर मानसून का ट्रफ फिलहाल बीकानेर, दौसा, ग्वालियर, सीधी, अम्बिकापुर एवं बालासोर से गुजर कर पश्चिमोत्तर बंगाल की खाड़ी की तरफ बढ़ रहा है।
पश्चिमोत्तर उत्तर प्रदेश एवं समीपवर्ती क्षेत्र के ऊपर जो साइक्लोनिक सर्कुलेशन बना हुआ था वह अब उत्तर प्रदेश के मध्यवर्ती भाग में पहुंच गया है। समुद्र के तटवर्ती क्षेत्र में उत्पन्न एक ट्रफ अभी दक्षिण महाराष्ट्र तट से केरल तट की ओर बढ़ रहा है।
बंगाल की खाड़ी के दक्षिणी तथा मध्यवर्ती भाग में उत्पन्न साइक्लोनिक सर्कुलेशन अब दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर बढ़ गया है। उत्तरी अंडमान सागर के ऊपर भी इसी तरह का एक सर्कुलेशन मौजूद है जबकि एक अन्य सर्कुलेशन पश्चिम बंगाल तथा सिक्किम के उप हिमालय क्षेत्र के ऊपर अवस्थित है।
जुलाई माह के दौरान मौसम विभाग ने राष्ट्रीय स्तर पर सामान्य औसत 280.4 मि०मी० के सापेक्ष 100 प्रतिशत तथा प्राईवेट मौसम एजेंसी ने 95 प्रतिशत बारिश होने का अनुमान लगाया है।
इससे खरीफ फसलों और खासकर धान, दलहन (अरहर, उड़द, मूंग), तिलहन (सोयाबीन, मूंगफली, अरंडी), मोटे अनाजों (मक्का। ज्वार, बाजरा, रागी) तथा कपास आदि की खेती में सुविधा होगी। अलनीनो के खतरे का अभी जिक्र नहीं किया जा रहा है जबकि इसके आने की संभावना बनी हुई है।