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मानसून की बेतरतीब वर्षा से सोयाबीन की बिजाई प्रभावित होने के संकेत

प्रकाशित 03/07/2023, 04:12 pm
अपडेटेड 03/07/2023, 04:15 pm
मानसून की बेतरतीब वर्षा से सोयाबीन की बिजाई प्रभावित होने के संकेत
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iGrain India - नई दिल्ली । दक्षिण-मानसून की देर से अनेक तथा कई दिनों तक लगभग गतिहीन रहने से 18 जून तक देश के प्रमुख सोयाबीन उत्पादक इलाकों में बारिश का अभाव रहा और उसके बाद जोरदार वर्षा होने से खेतों में या तो पानी भर गया या नमी का अंश जरूरत से ज्यादा बढ़ गया।

इसके फलस्वरूप तीनों शीर्ष उत्पादक राज्यों- मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र एवं राजस्थान सहित अन्य प्रांतों में भी सोयाबीन की बिजाई में बाधा पड़ने के संकेत मिल रहे हैं। मालूम हो कि सोयाबीन खरीफ सीजन की प्रमुख तिलहन फसल है।

पिछले कुछ महीनों से इसका मंडी भाव कमजोर चल रहा है। हालांकि न्यूनतम समर्थन मूल्य की तुलना में इसका भाव काफी ऊपर है मगर पिछले साल के मुकाबले काफी नीचे है। बिजाई में बाधा पड़ने की सूचना से सोयाबीन का दाम अब धीरे-धीरे सुधरने लगा है। 

मौसम विभाग के अनुसार मध्य प्रदेश में मानसून 26 जून को पहुंचा और उसके बाद से राज्य के किसी न किसी भाग में जबरदस्त बारिश हो रही है। इससे विदिशा, रतलाम, रायसेन, शिवनी तथा इंदौर आदि जिलों में खेत जलमग्न हो गए हैं।

उधर महाराष्ट्र के अकोला एवं लातूर जिले में किसान अब भी बारिश का इंतजार कर रहे हैं। वहां सोयाबीन की बिजाई पहले ही 10-15 दिन लेट हो चुकी है। 

विदिशा के एक बड़े किसान का कहना है कि पहले वर्षा की कमी से सोयाबीन की बिजाई बाधित हुई और अब भारी वर्षा से इसमें परेशानी हो रही है। वहां लगातार हो रही वर्षा से खेतों में पानी जमा हो गया है। उसमें ट्रैक्टर चलना और उसे बिजाई के लिए तैयार करना संभव नहीं है।

मौसम विभाग के मुताबिक मध्य प्रदेश में पिछले सप्ताह सामान्य औसत से 28 जून तक 85 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई जबकि 29 जून को 180 प्रतिशत अधिक बारिश हो गई।

इसके साथ ही मध्य प्रदेश अपर्याप्त वर्षा वाले राज्य की सूची से बाहर निकलकर जून में सामान्य बारिश वाले प्रान्त की श्रेणी में आ गया। लेकिन महाराष्ट्र में वर्षा अब भी बहुत पीछे है।

जून में वहां वर्षा की कमी करीब 50 प्रतिशत की रही। 30 अक्टूबर तक असमान वर्षा के कारण देश में सोयाबीन का उत्पादन क्षेत्र गत वर्ष से करीब 25 प्रतिशत घटकर 4.61 लाख हेक्टेयर रह गया। सोयाबीन की खेती राजस्थान में भी पिछड़ रही है।

सोयाबीन की सर्वाधिक बिजाई जुलाई में होती है। मौसम विभाग ने चालू माह में सामान्य वर्षा होने की संभावना व्यक्त की है लेकिन यह देखना होगा कि सोयाबीन के मुख्य उत्पादक क्षेत्रों में कैसी बारिश होती है।

महाराष्ट्र में इसका क्षेत्रफल केवल 800 हेक्टेयर रहा जबकि गत वर्ष 83,800 हेक्टेयर पर पहुंचा था। शिकागो एक्सचेंज में पिछले एक माह के दौरान सोयाबीन का भाव 16.5 प्रतिशत बढ़कर 572 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गया।

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