iGrain India - नई दिल्ली । दक्षिण-पश्चिम मानसून की वर्षा के असमान वितरण तथा बिपरजॉय तूफान के प्रकोप से खरीफ फसलों की बिजाई पर गहरा असर पड़ रहा है।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि इस वर्ष 30 जून तक राष्ट्रीय स्तर पर खरीफ फसलों का कुल क्षेत्रफल 203.20 लाख हेक्टेयर तक पहुंचा जो वर्ष 2022 की समान अवधि के उत्पादन क्षेत्र से 85 हजार हेक्टेयर ज्यादा तथा वर्ष 2021 की तुलना में 9.12 लाख हेक्टेयर कम है। ध्यान देने की बात है कि वर्ष 2022 में मानसून के देर से आने के कारण शुरूआती चरण में खरीफ फसलों का रकबा काफी घट गया था।
पिछले साल की तुलना में इस बार धान का उत्पादन क्षेत्र करीब 26 प्रतिशत घट गया है जबकि दूसरी ओर राजस्थान में बाजरा का रकबा करीब दोगुना बढ़ गया है।
राजस्थान में बिपरजॉय महातूफान के साथ-साथ मानसून की वर्षा भी काफी अच्छी हुई है जिससे वहां खरीफ फसलों की बिजाई की गति तेज है। राजस्थान में खरीफ फसलों का कुल बिजाई क्षेत्र 30 जून तक बढ़कर 5.40 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया जो गत वर्ष के क्षेत्रफल 2.74 लाख हेक्टेयर से लगभग दोगुना है।
इसमें बाजार का योगदान सबसे ज्यादा है जिसका रकबा पिछले साल के 1.35 लाख हेक्टेयर से उछलकर इस बार 2.92 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया। राजस्थान सरकार ने चालू खरीफ सीजन के दौरान राज्य में 4.40 लाख हेक्टेयर में बाजरा की खेती का लक्ष्य निर्धारित किया है।
बाजरा के साथ-साथ राजस्थान में तिलहन फसलों के क्षेत्रफल में भी अच्छी बढ़ोत्तरी हुई है। इसका उत्पादन क्षेत्र गत वर्ष के 6 लाख हेक्टेयर से बढ़कर इस बार 8.80 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है।
इसके तहत मूंगफली के बिजाई क्षेत्र में सर्वाधिक बढ़ोत्तरी हुई है जबकि सूरजमुखी एवं सोयाबीन का रकबा पीछे चल रहा है।
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार राजस्थान का अधिकांश कृषि क्षेत्र वर्षा पर आश्रित है और इस वर्ष जून में वहां पर्याप्त बारिश हुई है। यह वर्षा मोटे अनाजों के लिए अत्यन्त लाभदायक साबित हो रही है।
जहां तक धान का सवाल है तो राष्ट्रीय स्तर पर चालू वर्ष के दौरान 30 जून तक इसका कुल उत्पादन क्षेत्र 26.60 लाख हेक्टेयर तक ही पहुंच सका जो पिछले साल की समान अवधि के क्षेत्रफल 36 लाख हेक्टेयर तथा वर्ष 2021 के रकबे 59.60 लाख हेक्टेयर से काफी कम है।