iGrain India - जयपुर । राजस्थान उन गिने-चुने प्रांतों में शामिल है जहां चालू वर्ष के दौरान न केवल बिपरजॉय महातूफान के कारण कई जिलों में अत्यन्त मुसलाधार बारिश हुई बल्कि दक्षिण-पश्चिम मानसून भी अपने नियत समय से करीब 6 दिन पूर्वी ही पहुंच गया।
इससे राज्य के विभिन्न भागों में काफी अच्छी वर्षा हुई जिससे किसानों को विभिन्न खरीफ फसलों की बिजाई में काफी सहायता मिली। राज्य के एक प्रगतिशील किसान और एडवोकेट श्रीपाल सारस्वत का कहना है कि इस बार राजस्थान में मूंग एवं बाजरा की खेती में किसानों ने जबरदस्त उत्साह दिखाया है जिससे इसके क्षेत्रफल में भारी बढ़ोत्तरी हुई है।
आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि राजस्थान में पिछले साल के मुकाबले चालू खरीफ सीजन में 30 जून तक बाजरा का उत्पादन क्षेत्र 1.35 लाख हेक्टेयर की तुलना में दोगुने से ज्यादा बढ़कर 2.92 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया जबकि राज्य कृषि विभाग ने इस बार कुल 4.40 लाख हेक्टेयर में इसकी खेती का लक्ष्य रखा है।
श्रीपाल सारस्वत के मुताबिक मूंग की खेती से किसानों को अच्छा मुनाफा हो रहा है इसलिए इसकी खेती के प्रति उसमें उत्साह एवं आकर्षण बरकरार है। राजस्थान को खरीफ कालीन मूंग का प्रमुख उत्पादक प्रान्त माना जाता है।
सरकार भी इसकी खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। इसकी बिजाई देर तक चलती रह सकती है। वैसे कुछ इलाकों में भारी वर्षा की वजह से खेतों में पानी भरने या नमी का अंश ऊंचा रहने से बिजाई की गति कुछ धीमी पड़ गई है।
दिलचस्प तथ्य यह है कि राजस्थान में ग्वार के कुछ महत्वपूर्ण उत्पादक क्षेत्रों में बिजाई का समय आरंभ होने से पूर्व ही बारिश हो गई जिससे किसानों ने वहां अन्य वैकल्पिक फसलों की खेती कर दी। सारस्वत का तो मानना है कि पिछले साल के मुकाबले इस बार राजस्थान में ग्वार के उत्पादन क्षेत्र में 30-40 प्रतिशत तक की भारी गिरावट आ सकती है और उत्पादन पर इसका स्वाभाविक रूप से असर पड़ेगा।