iGrain India - इंदौर । एक महत्वपूर्ण उद्योग संस्था- सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के कार्यकारी निदेशक- डी एन पाठक को उम्मीद है कि मध्य प्रदेश में सोयाबीन का बिजाई क्षेत्र पिछले साल के करीब पहुंच जाएगा जबकि महाराष्ट्र में कुछ बढ़ सकता है।
दरअसल वहां इसकी बिजाई जोर शोर से जारी है और अधिशेष वर्षा के बावजूद किसान इसमें अच्छी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। मालवा संभाग (इंदौर, उज्जैन, देवास आदि) में सोयाबीन की खेती बड़े पैमाने पर होती है। हालांकि सोयाबीन का भाव अपने शीर्ष स्तर से काफी नीचे आ गया है लेकिन समर्थन मूल्य से काफी ऊंचा चल रहा है।
डी एन पाठक के मुताबिक इस बार सोयामील के निर्यात में दोगुने से ज्यादा की शानदार बढ़ोत्तरी होने के आसार हैं। पिछले मार्केटिंग सीजन में करीब 80 लाख टन सोया डीओसी का निर्यात हुआ था जो चालू सीजन में सितम्बर 2023 तक बढ़कर 17 लाख टन तक पहुंच सकता है।
डी एन पाठक ने कहा कि जीएम सोयाबीन से उत्पादन बढने की बात में सच्चाई कम है। महाराष्ट्र के प्रगतिशील किसान तो परम्परागत प्रजातियों से ही 2.5-3.0 टन प्रति हेक्टेयर की उपज दर अधिक कर रहे हैं।
इसी सिलसिले में सोया महाकुंभ का आयोजन किया गया था जिसमें किसानों को उन्नत कृषि पद्धति अपनाने के बारे में जानकारी दी गई थी। भारतीय किसान सघन खेती में विश्वास रखते हैं मगर इससे ब्याज दर तथा पैदावार बढने की गारंटी नही रहती है।
अन्तर्राष्ट्रीय बाजार के बारे में सोपा के कार्यकारी निदेशक ने कहा कि सोयाबीन के दाम में हाल के दिनों में आई तेजी अस्थायी है। अमरीका में इसकी अच्छी बिजाई हुई है और कुल मिलाकर फसल की हालत सन्तोषजनक है।
यदि आगामी समय में कोई विशेष परिस्थिति उत्पन्न नही हुई तो वहां सोयाबीन का बेहतर उत्पादन हो सकता है। सटोरिए अपने हितों के अनुरूप बाजार को उठाने-गिराने का प्रयास करते हैं।
सोयाबीन का घरेलू उत्पादन इस बार 124 लाख टन के करीब हुआ और बिजाई के लिए आरक्षित स्टॉक, सीधी खपत एवं क्रशिंग मात्रा को हटाने के बाद सीजन के अंत में इसका भारी बकाया स्टॉक मोजूद रह सकता है।
दलहन अथवा कपास की फसल से सोयाबीन की प्रतिस्पर्धी नही होगी। मध्य प्रदेश में अगले 10-15 दिनों में सोयाबीन के क्षेत्रफल की स्पष्ट तस्वीर सामने आ सकती है।