iGrain India - नई दिल्ली । किसान संघों- संगठनों के नेताओं ने कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) से कहा ही कि वह सरकार के पास रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को अनिवार्य बनाने की सिफारिश करे।
हालांकि सीएसीपी का इस तरह का कोई सुझाव सरकार के लिए बाध्यकारी नहीं होगा लेकिन अगले साल होने वाले आम चुनाव को देखते हुए इससे केन्द्र सरकार पर दबाव अवश्य कुछ बढ़ जाएगा।
ध्यान देने की बात है कि आयोग कृषि फसलों के लिए एमएसपी की जो सिफारिश करता है उसे सरकार थोड़े बहुत संशोधन के साथ स्वीकार कर लेती है।
किसान महापंचायत के अध्यक्ष ने कहा कि कमीशन से यह सुझाव देने का आग्रह किया गया है कि सरकार किसानों की फसलों के लिए एमएसपी की गारंटी प्रदान करे।
अध्यक्ष ने दलील दी कि आयोग को यह सुनिश्चित करना है कि किसानों को हर हाल में एमएसपी प्राप्त हो और उसे यह कहते हुए इस मुद्दे को नहीं रखना चाहिए कि कृषि क्षेत्र तो राज्य का विषय है।
उल्लेखनीय है कि आगामी रबी मार्केटिंग सीजन (2024) के लिए विभिन्न फसलों पर अपनी मूल्य नीति रिपोर्ट के बारे में निर्णय लेने के संदर्भ में आयोग ने 4 जुलाई 2023 को विभिन्न किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ विचार-विमर्श किया था। प्रत्येक वर्ष ऐसा होता है।
तमाम सम्बन्ध पक्षों के साथ बातचीत करके आयोग विभिन्न फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए अपनी सिफारिश तैयार करता है और फिर उसे केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के पास जमा करता है।
इस सिफारिश को मूल रूप में या कुछ संशोधन के साथ कृषि मंत्री आर्थिक मामलों की केन्द्रीय कैबिनेट समिति की बैठक में प्रस्तुत करता है जहां उसे अंतिम स्वीकृति मिलती है।
अध्यक्ष के अनुसार आयोग को बताया गया कि समर्थन मूल्य के मामले में किस तरह धान एवं जून के सापेक्ष दलहन, तिलहन एवं मोटे अनाजों के उत्पादकों के साथ भेदभाव किया जाता है।
केन्द्र सरकार समर्थन मूल्य पर धान और गेहूं की अधिकतम मात्रा की खरीद करती है लेकिन अन्य फसलों की खरीद सीमित मात्रा में की जाती है। चना को छोड़कर अन्य रबी फसलों की खरीद पर बहुत कम ध्यान दिया जाता है। इस बार सरसों की खरीद भी बढ़ाई गई है।