iGrain India - नई दिल्ली । खुले बाजार बिक्री योजना के तहत चावल का नगण्य उठाव होने तथा अतिरिक्त चावल के लिए कर्नाटक सरकार के आग्रह को भारतीय खाद्य निगम द्वारा अस्वीकार किए जाने से कुछ विवाद उत्पन्न हो गया है।
लेकिन केन्द्र सरकार का कहना है कि अधिकांश राज्य चाहते हैं कि केन्द्रीय पूल में खाद्यान्न का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध रहे ताकि घरेलू बाजार भाव में आने वाली किसी अप्रत्याशित तेजी को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सके।
केन्द्र सरकार की इस नीति का समर्थन वे राज्य भी कर रहे हैं जहां कांग्रेस सत्ता में है। इसमें राजस्थान, बिहार, तमिलनाडु एवं झारखंड जैसे राज्य भी शामिल हैं।
कर्नाटक सरकार ने अपनी महत्वाकांक्षी योजना- अन्न भाग्य गारंटी स्कीम के लिए केन्द्र से 3400 रुपए प्रति क्विंटल की दर से चावल देने का अनुरोध किया था लेकिन सरकार ने इसके बजाए खुले बाजार बिक्री योजना के तहत चावल उतारने का फैसला किया और इसका आरक्षित मूल्य भी 3100-3173 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित कर दिया।
दिलचस्प तथ्य यह है कि 5 जुलाई को पहली सप्ताहिक नीलामी के दौरान सिर्फ 5 खरीदारों ने नीलामी में भाग लिया और कुल मिलाकर 170 टन चावल खरीदा जबकि बिक्री के लिए ऑफर 3.80 लाख टन के करीब था।
सरकार वस्तुत: बाजार को यह संदेश देना चाहती है कि उसके पास चावल का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है और वह इसकी नियमित आपूर्ति करने में सक्षम है।
बाजार में चावल का भाव पिछले दिन कुछ तेज हुआ था इसलिए सरकार को हस्तक्षेप करना पड़ा। उसे आगामी समय में खुले बाजार बिक्री योजना के तहत चावल की बिक्री बढ़ने की उम्मीद है। इस बार खरीफ सीजन में धान का उत्पादन क्षेत्र पीछे चल रहा है जबकि आगे अल नीनो मौसम चक्र का खतरा भी बना हुआ है इसलिए सरकार सतर्कता बरत रही है।