iGrain India - नई दिल्ली । गन्ना के बिजाई क्षेत्र में अच्छी बढ़ोत्तरी होने तथा मानसून की बारिश संतोषजनक होने से उत्तर प्रदेश में 2023-24 के नए मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितम्बर) के दौरान चीनी का उत्पादन बढ़कर नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है।
मोटे अनुमान के अनुसार वहां अगले सीजन में चीनी का उत्पादन 105 लाख टन से ज्यादा हो सकता है। लेकिन चीनी मिलों को जलवायु परिवर्तन के असर की चिंता सता रही है क्योंकि अक्टूबर में जोरदार बेमौसमी बारिश हुई तो गन्ना की फसल क्षतिग्रस्त हो सकती है।
महाराष्ट्र तथा कर्नाटक में पिछले साल ऐसा हो चुका है। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार 2022-23 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन के दौरान उत्तर प्रदेश में 105.40 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ जो महाराष्ट्र के उत्पादन 105.30 लाख टन से 10 हजार टन अधिक रहा और इसके साथ ही महाराष्ट्र को पीछे छोड़कर उत्तर प्रदेश इस बार देश का सबसे प्रमुख चीनी उत्पादक राज्य बन गया जबकि तीन चार वर्षों से वह दूसरे स्थान पर चल रहा था। कर्नाटक चीनी उत्पादन में तीसरे नम्बर पर बरकरार है।
शीर्ष उद्योग संस्था- इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अध्यक्ष का कहना है कि फिलहाल गन्ना की फसल काफी अच्छी हालत में दिखाई पड़ रही है और पौधों का समुचित विकास हो रहा है।
उम्मीद है कि आगामी महीनों के दौरान सही समय पर अच्छी वर्षा होगी जिससे फसल की नियमित प्रगति होती रहेगी। महाराष्ट्र में वर्षा की हालत कुछ कमजोर है।
पिछले साल चार माह वाले मानसून सीजन के शुरुआती दो महीनों में कम बारिश हुई थी लेकिन बाद के दो महीनों में अत्यधिक वर्षा होने से कुछ भागों में गन्ना की फसल को नुकसान हुआ था।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश में इस वर्ष 7 जुलाई तक गन्ना का उत्पादन क्षेत्र उछलकर 27.51 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया जो पिछले साल की समान अवधि के बिजाई क्षेत्र 23.60 लाख हेक्टेयर से करीब 4 लाख हेक्टेयर ज्यादा है।
उत्तर प्रदेश गन्ना का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है और वहां इसका क्षेत्रफल भी सबसे ज्यादा रहता है। दूसरी ओर महाराष्ट्र में गन्ना का रकबा गत वर्ष के 12.11 लाख हेक्टेयर से घटकर इस बार 10.54 लाख हेक्टेयर पर आ गया है।
अखिल भारतीय स्तर पर गन्ना का उत्पादन क्षेत्र गत वर्ष के 52.92 लाख हेक्टेयर से बढ़कर इस बार 54.40 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है।