iGrain India - मुम्बई । घरेलू प्रभाग में आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति सुगम रहने तथा सरकारी एजेंसी- नैफेड द्वारा विशाल मात्रा में खरीद किए जाने से चना का भाव लगभग स्थिर बना हुआ है। इसके फलस्वरूप विदेशों से इसके आयात में कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई जा रही है।
वैसे भी सामान्य रूप से देसी चना पर 60 प्रतिशत का भारी-भरकम आयात शुल्क लगा हुआ है लेकिन अफ्रीका के गरीब देशों से शुल्क मुक्त आयात की सुविधा दी गई है। अब चना का भाव सुधरने लगा है।
प्राप्त आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान महज 882 टन चना का आयात हुआ जिसमें अप्रैल का 342 टन, मई का 240 टन एवं जून का 300 टन (अनुमानित) आयात शामिल है।
इसके मुकाबले इसी अवधि में वर्ष 2022 में 4891 टन, 2021 में 11858 टन, 2020 में 4009 टन तथा 2019 में 10,976 टन चना का आयात हुआ था। वर्ष 2022 के दौरान अप्रैल में 2348 टन एवं जून में 2544 टन चना मंगाया गया था जबकि मई में कोई आयात नहीं हुआ था।
सम्पूर्ण वित्त वर्ष (अप्रैल-मार्च) के दौरान 59,255 टन देसी चना बाहर से मंगाया गया था जबकि 2021-22 में 1,40,486 टन, 2020-21 में 1,40,991 टन तथा 2019-20 में 1,17,839 टन चना का आयात किया गया था।
मालूम हो कि भारत दुनिया में देसी चना का सबसे प्रमुख उत्पादक एवं उपभोक्ता देश है। भारत में दलहनों के कुल उत्पादन में चना की भागीदारी 45-50 प्रतिशत के बीच रहती है।