iGrain India - पुणे । महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने कहा है कि विलम्बित मानसून एवं वर्षा की कमी के कारण यदि खरीफ फसलों की दोबारा बिजाई की जरूरत पड़ती है तो इसमें राज्य सरकार किसानों की सहायता करने के लिए तैयार है।
मुख्यमंत्री के मुताबिक महाराष्ट्र के कई भागों में खरीफ फसलों की बिजाई पूरी हो चुकी है लेकिन बारिश कम होने से किसान चिंतित हैं। यदि बीज में ठीक से अंकुरण नहीं हुआ या सूखे की वजह से फसल प्रभावित हुई और किसानों ने उन खेतों में दोबारा बिजाई करने का प्लान बनाया तो राज्य सरकार की ओर से उसे सहायता दी जाएगी।
मुख्यमंत्री का कहना था कि मानसून की बारिश कम तथा देर से होने के कारण किसानों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। राज्य सरकार मानसून की हालत पर नजदीकी निगाह रखे हुए हैं। मालूम हो कि इस बार महाराष्ट्र, कर्नाटक तथा तेलंगाना जैसे राज्यों में मानसून की बारिश कम हुई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार किसानों को आपदा की घड़ी में अकेला नहीं छोड़ेगी और दोबारा बिजाई में सहयोग- सहायता देने का हर संभव प्रयास करेगी। महाराष्ट्र में गन्ना को छोड़कर अन्य खरीफ फसलों की खेती के लिए 14202 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि उपलब्ध है लेकिन अभी तक इसके सिर्फ 47 प्रतिशत भाग में ही बिजाई की प्रक्रिया पूरी हो सकी है।
वर्षा की कमी के कारण इस बार वहां तुवर के साथ-साथ मूंग एवं उड़द का उत्पादन भी प्रभावित होने की संभावना है। उधर महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री ने कहा है कि सरकार नकली बीजों की बिक्री करने वाली कम्पनियों के खिलाफ कानून को सख्त बनाएगी और यदि बीज अंकुरण नहीं हुआ तो कंपनियों को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
महाराष्ट्र में दलहनों एवं गन्ना के अलावा सोयाबीन तथा कपास की खेती भी बड़े पैमाने पर की जाती है। मराठवाड़ा एवं विदर्भ संभाग में बारिश कम होने से किसानों की चिंता काफी बढ़ गई है।