iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कहा है कि सरकार खरीफ फसलों के उत्पादन क्षेत्र पर गहरी नजर रख रही है और अब तक इसमें जो गिरावट आई है उससे घबराने या चिंतित होने की जरूरत नहीं है।
धान एवं कुछ दलहनों का रकबा गत वर्ष से पीछे है। कृषि मंत्री के अनुसार चूंकि अभी मानसून सक्रिय है इसलिए फसलों के बिजाई क्षेत्र में सुधार होने की उम्मीद है।
मौजूदा समय में फसलों पर मानसून के प्रभाव पर टिप्पणी करना ठीक नहीं होगा। सरकार वर्तमान परिदृश्य पर गहरी नजर रख रही है और मानसून की चाल पर भी नजर रखे हुए है। देश के कुछ भागों में जोरदार बारिश हुई है इसलिए अभी खतरे जैसी कोई बात नहीं है।
यह सही है कि देश के उत्तरी एवं पश्चिमोत्तर भाग में मानसून की भारी बारिश हुई है और अब भी वर्षा का दौर जारी है। इसमें राजस्थान, गुजरात, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड एवं हरियाणा आदि शामिल है।
लेकिन दूसरी ओर देश के दक्षिणी राज्यों एवं महाराष्ट्र आदि में अब तक वर्षा का भारी अभाव बना हुआ है। खरीफ फसलों की बिजाई की गति कुछ तेज हुई है लेकिन यह मुख्यत: मोटे अनाजों एवं तिलहनों के क्षेत्रफल में बढ़ोत्तरी का संकेत दे रही है।
धान, दलहन, मक्का एवं कपास का उत्पादन क्षेत्र अभी गत वर्ष से काफी पीछे है। आगामी समय में इसका रकबा बढ़ने की उम्मीद है क्योंकि अनेक क्षेत्रों में वर्षा हो रही है।
अरहर, सोयाबीन एवं कपास का बिजाई क्षेत्र काफी घट रहा है। महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों में बारिश कम होना इसका प्रमुख कारण माना जा रहा है।
ध्यान देने की बात है कि तुवर, सोयाबीन एवं कपास के लिए महाराष्ट्र देश का दूसरा प्रमुख उत्पादक राज्य है। तुवर के उत्पादन में कर्नाटक, कपास के उत्पादन में गुजरात एवं सोयाबीन के उत्पादन में मध्य प्रदेश पहले नम्बर पर है।
राष्ट्रीय स्तर पर खरीफ फसलों का उत्पादन क्षेत्र 550 लाख हेक्टेयर से ऊपर पहुंच चुका है लेकिन फिर भी पिछले साल से कम है। जुलाई-अगस्त में इन फसलों की अच्छी बिजाई होती है इसलिए क्षेत्रफल में अब तक आई कमी की भरपाई आगे हो सकती है।
लेकिन कुल रकबा भले ही समान्य स्तर या गत वर्ष के बराबर पहुंच जाए, जब तक महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे शीर्ष उत्पादक राज्यों में मानसून की भारी बारिश नहीं होती है तब तक प्रमुख फसलों के उत्पादन क्षेत्र में गिरावट की आशंका बनी रहेगी।
अभी तक अल नीनो मौसम चक्र का प्रभाव शुरू नहीं हुआ है। कृषि मंत्री को उम्मीद है कि खरीफ फसलों का उत्पादन क्षेत्र अच्छी स्थिति में पहुंच जाएगा।