iGrain India - अहमदाबाद । देश के पश्चिमी प्रान्त- गुजरात में मध्य जून में आए भयंकर समुद्री चक्रवाती तूफान- बिपरजॉय के कारण कई जिलों में भारी बारिश हुई और फिर दक्षिण-पश्चिम मानसून की वर्षा ने जोर पकड़ लिया।
इससे किसानों को अन्य खरीफ फसलों के साथ-साथ सोयाबीन का रकबा भी बढ़ाने का अवसर मिल गया। राज्य कृषि विभाग के नीवनतम आंकड़ों के अनुसार गुजरात में सोयाबीन का उत्पादन क्षेत्र बढ़कर 2.37 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है जो पिछले साल की समान अवधि के बिजाई क्षेत्र 1.86 लाख हेक्टेयर से 51 हजार हेक्टेयर या 27.41 प्रतिशत अधिक है।
सबसे प्रमुख उत्पादक संभाग- सौराष्ट्र में इसका बिजाई क्षेत्र गत वर्ष के 89,600 हेक्टेयर से करीब 48 प्रतिशत उछलकर 1,32,600 हेक्टेयर पर पहुंच गया।
इसी तरह उत्तरी गुजरात में इसका क्षेत्रफल 38 हजार हेक्टेयर से करीब 31 प्रतिशत बढ़कर 50 हजार हेक्टेयर के आसपास पहुंच गया है। दूसरी ओर सोयाबीन का रकबा मध्यवर्ती गुजरात में 42 हजार हेक्टेयर से 6.45 प्रतिशत घटकर 39 हजार हेक्टेयर तथा दक्षिणी गुजरात में 17 हजार हेक्टेयर से फिसलकर 16 हजार हेक्टेयर के करीब रह गया।
हालांकि मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र एवं राजस्थान जैसे शीर्ष उत्पादक राज्यों की तुलना में गुजरात में सोयाबीन की खेती कम क्षेत्रफल में होती है मगर इस बार मानसूनी वर्षा की कमी के कारण महाराष्ट्र में जिस तरह सोयाबीन के उत्पादन क्षेत्र में भारी गिरावट आने के संकेत मिल रहे हैं उसे देखते हुए पड़ोसी राज्य गुजरात में क्षेत्रफल में वृद्धि होना अच्छी खबर मानी जाएगी।
इस बार गुजरात में सोयाबीन की बिजाई सही समय पर हुई है और फसल की हालत भी बेहतर बताई जा रही है जिससे इस महत्वपूर्ण तिलहन के उत्पादन में बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद है। राजस्थान में भी सोयाबीन का रकबा बढ़ा है। गुजरात एवं राजस्थान में इस बार नियमित रूप से बारिश हो रही है जिससे फसल को फायदा हो रहा है।