iGrain India - जेनेवा । विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू टी ओ) में अमरीका ने जीएम सरसों तथा बीटी कॉटन पर भारत दोहरे मापदंड पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि एक तरफ भारत सरकार द्वारा इन फसलों की खेती के प्रति नरम रुख अपनाया गया है तो दूसरी ओर विदेशों से इसके आयात के प्रति सख्त रवैया दिखाया जा रहा है।
भारत में पिछले दो दशकों से बीटी कॉटन की नियमित खेती हो रही है जबकि सरकार ने जीएम सरसों के पर्यावरणीय रिलीज की स्वीकृति प्रदान कर दी है। भारत सरकार बार-बार प्रचारित- करती है कि भारत गैर जीएमओ वाला देश है।
इतना ही नहीं बल्कि वह 24 खाद्य एवं कृषि उत्पादों के लिए निर्यातक देशों से जीएम मुक्त माल के सर्टिफिकेट की मांग की है जिसमें सेब, गेहूं, चावल, आलू और टमाटर तक शामिल है।
डब्ल्यू टीओ में जमा की गई एक शिकायत में अमरीका ने भारत से इस नीति को बदलने के लिए कहा है। शिकायती पत्र (आवेदन) में कहा गया है कि अमरीका इस व्यापार नियंत्रण उपाय को तत्काल समाप्त करने के लिए अनुरोध करता रहेगा।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल सरकार ने डी एम एच 11 सरसों की जीएम किस्म को पर्यावरण के दृष्टिकोण से सुरक्षित मानते हुए इसे जारी करने की अनुमति दी थी मगर बाद में यह मामला अदालत में पहुंच गया और अभी तक लम्बित है।
इसकी स्वीकृति महज चार वर्षों की सीमित अवधि के लिए दी गई थी। डब्ल्यू टीओ में भारतीय प्रतिनिधि ने कहा था कि प्रमाण पत्र (गैर जीएम होने का) की आवश्यकता यह आश्वासन है कि भारत में मानवीय खपत के लिए जिन खाद्य उत्पादों का निर्यात किया जा रहा है वह गैर जीएम मूल का है और जीएम फ्री भी है जबकि अमरीका ने दलील दी है कि जीएम फ्री सर्टिफिकेट का अनुपालन खाद्य सुरक्षा एवं पशु तथा पौध स्वास्थ्य विनियमन के क्रियान्वयन के लिए वैश्विक व्यापार नियमों से मेल नहीं खाता है।
भारत ने अभी तक 24 उत्पादों के लिए जीएम मुक्त सर्टिफिकेट की आवश्यकता को वैज्ञानिक ढंग से न्यायोचित बताने के प्रश्न का सही जवाब नहीं दिया है।