iGrain India - नई दिल्ली । भारतीय बासमती चावल निर्यातकों को उम्मीद है कि संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के साथ मुद्रा व्यापार समझौता होने के बाद इस प्रीमियम क्वालिटी के चावल के निर्यात की गति धीरे-धीरे तेज होती जाएगी।
इतना ही नहीं बल्कि इस संधि के बाद दुबई के रास्ते ईरान का द्वार खोलने में भी आसानी होगी और भुगतान डिफ़ॉल्ट का खतरा कम हो जाएगा। उल्लेखनीय है कि ईरान भारतीय बासमती चावल का एक प्रमुख खरीदार देश है जो लम्बे समय से पांच शीर्ष आयातक देशों की सूची में शामिल हैं।
एपीडा के आंकड़ों से ज्ञात होता है कि वित्त वर्ष 2022-23 (अप्रैल-मार्च) के दौरान भारत से बासमती चावल का निर्यात बढ़कर 45.60 लाख टन पर पहुंच गया जिससे 4.79 अरब डॉलर (38,524 करोड़ रुपए) की आमदनी प्राप्त हुई।
वित्त वर्ष 2021-22 में निर्यात आय 3.94 अरब डॉलर पर सिमट गई थी। इस बीच दो अन्य घटनाक्रम भी चावल कारोबार को गतिशील बना सकता है।
पहली बात यह है कि रूस ने यूक्रेन के साथ करार भंग कर दिया है जिसके फलस्वरूप यूक्रेन से गेहूं के निर्यात में अनिश्चितता पैदा हो गई है। दूसरी बात यह है कि भारत सरकार ने ग़ैर बासमती संवर्ग के सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है।
इससे पूर्व 100 प्रतिशत टूटे चावल के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगाया जा चुका है जबकि स्टीम चावल पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लगा रहेगा।
अखिल भारतीय चावल निर्यातक संघ के पूर्व अध्यक्ष का कहना है कि मुद्रा व्यापार संधि से ईरान के साथ बासमती चावल के निर्यात कारोबार को निश्चित रूप से बढ़ावा मिलेगा।
संयुक्त अरब अमीरात में बैठे ईरान के व्यवसायी 'बार्टर ट्रेड' (सामानों की अदला बदली) को विशेष प्राथमिकता देते हैं क्योंकि दोनों देशों में इसके लिए बेहतर ढांचा मौजूद है।
वर्तमान समय में ईरान के अनेक बिजनेसमैन को भुगतान का निपटारा करने में भारी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है जबकि वहां रुपए में कारोबार की सुविधा मौजूद है।
यूएई के साथ संधि होने पर दुबई से ईरान को बासमती चावल का पुनर्निर्यात करना आसान हो जाएगा। भारतीय रिजर्व बैंक और यूएई के सेंट्रल बैंक के बीच हुए करार के तहत सीमा के आर-पार के कारोबार में स्थानीय मुद्राओं (रुपया तथा दिरहम) को बढ़ावा देने हेतु फ्रेम वर्क स्थापित किया जाएगा।