iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार ने कहा है कि खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत राज्यों को गेहूं एवं चावल की बिक्री 13 जून 2023 से स्थगित कर दी गई क्योंकि केन्द्रीय पूल में इसका बफर स्टॉक ऊंचे स्तर पर बरकरार रखना तथा घरेलू बाजार में कीमतों पर अंकुश लगाना आवश्यक समझा गया।
दरअसल चावल की पर्याप्त आपूर्ति एवं उपलब्धता सुनिश्चित होने पर ही कीमतों को नियंत्रित रखा जा सकता है। चालू वर्ष के दौरान मानसून की वर्षा में कमी आने की संभावना है जिससे खासकर धान-चावल का उत्पादन प्रभावित हो सकता है इसलिए सरकार चावल के वितरण में ज्यादा उदारता नहीं दिखा सकती है।
केन्द्रीय खाद्य राज्य मंत्री के अनुसार यद्यपि कर्नाटक, पश्चिम बंगाल तथा तमिलनाडु की सरकारी अपनी प्रांतीय कल्याणकरी योजनों के तहत चावल का वितरण करना चाहती थी और इसलिए उसने ओएमएसएस के तहत केन्द्रीय पूल से चावल देने का आग्रह किया था लेकिन इस बार परिस्थितियां भिन्न हैं इसलिए केन्द्र को इन राज्यों का अनुरोध अस्वीकार करना पड़ा। खुले बाजार में बाजार की आपूर्ति बढ़ाना ज्यादा आवश्यक है।
खाद्य राज्य मंत्री का कहना था कि चालू वर्ष के दौरान गेहूं की सरकारी खरीद 262.02 लाख टन पर पहुंची जो पिछले साल की कुल खरीद 187.92 लाख टन से 39.43 प्रतिशत अधिक रही।
1 जुलाई 2023 को केन्द्रीय पूल में कुल मिलाकर 301.45 लाख टन गेहूं का स्टॉक मौजूद था जबकि बफर नियम के अनुसार उसकी मात्रा कम से कम 275.80 लाख टन होनी चाहिए थी। इससे संकेत मिलता है कि गेहूं का स्टॉक बफर जरूरत से काफी अधिक है।
पिछले साल गेहूं की सरकारी खरीद में जबरदस्त गिरावट आ गई थी लेकिन किसानों को ऊंचे बाजार भाव के कारण भारी फायदा हुआ था और आकर्षक आमदनी प्राप्त हुई थी। गेहूं का खुला बाजार भाव अब भी न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊंचा चल रहा है।
चावल और गेहूं का स्टॉक मिलर्स एवं व्यापारियों को कम दाम पर उपलब्ध करवाया जा रहा है ताकि इसका बाजार भाव नियंत्रित रहे और आम उपभोक्ताओं को महंगाई की मार न झेलनी पड़े। सरकार इस प्रक्रिया को आगे भी जारी रखना चाहेगी।