iGrain India - राजकोट । निर्यातकों एवं क्रशर्स- प्रोसेसर्स की मजबूत मांग तथा सीमित आवक के कारण गुजरात में कृषि उत्पाद विपणन समिति (एपीएमसी) के परिसरों यानी थोक मंडियों में मूंगफली का भाव उछलकर 8000 रुपए प्रति क्विंटल के ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है लेकिन इसके बावजूद वहां इस महत्वपूर्ण तिलहन फसल का उत्पादन क्षेत्र अभी तक 16.21 लाख हेक्टेयर पर ही पहुंचा है जो गत वर्ष की समान अवधि के बिजाई क्षेत्र 16.72 लाख हेक्टेयर से 51 हजार हेक्टेयर तथा तीन वर्षीय औसत क्षेत्रफल 18.94 लाख हेक्टेयर से 14.4 प्रतिशत कम है।
उल्लेखनीय है कि कपास के बाद मूंगफली गुजरात की दूसरी सबसे महत्वपूर्ण फसल है और इन दोनों फसलों के उत्पादन में गुजरात देश का सबसे अग्रणी राज्य है।
उद्योग-व्यापार समीक्षकों के अनुसार कुछ विशेष कारण से इस बार गुजरात में कपास का क्षेत्रफल बढ़ा है और मूंगफली का रकबा पीछे हो गया है। इसमें श्रमिकों की उपलब्धता, कीमत तथा वर्षा-तीन प्रमुख कारण है।
मूंगफली फसल की तुड़ाई-तैयारी के दौरान किसानों को मजदूरों की कमी का संकट झेलना पड़ता है क्योंकि तुड़ाई-तैयारी का सीजन छोटा होता है और श्रमिकों की लगातार उपस्थिति की जरूरत रहती है। दूसरी ओर कपास के लिए मजदूरों की मांग स्थिर बनी रहती है।
एक विश्लेषक के अनुसार 2021-22 के सीजन में कपास का भाव उछलकर नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था लेकिन 2022-23 के सीजन में 8000 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास स्थिर हो गया फिर भी वह 2020-21 के मूल्य स्तर से ऊंचा रहा।
गुजरात, मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र के जो कटाई दार गुजरात में खेती करने के लिए आते हैं वे मूंगफली की खेती के लिए इस शर्त पर अनुबंध करते हैं कि उन्हें कपास की बिजाई करने की अनुमति भी दी जाए।
इस बार बिपरजॉय तूफान के कारण समूचे राज्य में वर्षा होने की संभावना व्यक्त की गई। मौसम विभाग ने कहा कि अक्टूबर में भी बारिश हो सकती है जिससे मूंगफली के उत्पादक दुविधा में फंस गये क्योंकि उस समय इसकी तुड़ाई-तैयारी होती है।