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यूक्रेन में प्रतिकूल मौसम से गेहूं की पैदावार घटने की आशंका- भारत पर विश्व की नजर केन्द्रित

प्रकाशित 09/08/2023, 12:39 pm
अपडेटेड 09/08/2023, 12:45 pm
यूक्रेन में प्रतिकूल मौसम से गेहूं की पैदावार घटने की आशंका- भारत पर विश्व की नजर केन्द्रित
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iGrain India - नई दिल्ली । हालांकि काला सागर क्षेत्र में अवस्थित देश रूस में गेहूं का उत्पादन अनुमान 865 लाख टन से 15 लाख टन बढ़कर 880 लाख टन तथा इसके निर्यात का अनुमान 472 लाख टन से 9 लाख टन बढ़कर 481 लाख टन निर्धारित किया गया है लेकिन उसके पड़ोसी देश-यूक्रेन में प्रतिकूल मौसम एवं रूस के साथ जारी युद्ध के कारण गेहूं के उत्पादन में गिरावट आने की आशंका व्यक्त की जा रही है।

दोनों देशों में गेहूं की नई फसल की जोरदार कटाई-तैयारी अभी जारी है। कुछ समीक्षकों ने यूक्रेन में इस वर्ष गेहूं के उत्पादन में 40 प्रतिशत तक की जोरदार गिरावट आने का अनुमान लगाया है।

प्राप्त आंकड़ों के अनुसार 4 अगस्त 2023 तक यूक्रेन में 125 लाख टन गेहूं का उत्पादन हुआ जबकि कई क्षेत्रों में फसल की कटाई अभी जारी है। इस वर्ष वहां कुल मिलाकर गेहूं का उत्पादन 202 लाख टन पर पहुंचने की संभावना है जो गत वर्ष के लगभग बराबर मगर पूर्व में नियत अनुमान 283 लाख टन से काफी कम है। 

चूंकि रूस के साथ अनाज निर्यात नौवहन करार भंग हो चुका है और रूस उसके कई बंदरगाहों पर भारी बमबारी भी कर रहा है इसलिए काला सागर के मार्ग से यूक्रेनी गेहूं का निर्यात शिपमेंट होना बहुत मुश्किल लगता है।

डेन्यूब नदी के बंदरगाहों एवं अनाज भंडारण केन्द्रों पर भी रूस गोले बरसाकर उसे क्षतिग्रस्त कर रहा है। रूस के आक्रमण से यूक्रेनी गेहूं का निर्यात प्रभावित होने पर उसके परम्परागत खरीदारों को रूस सहित कुछ अन्य देशों से गेहूं मंगाने के लिए विवश होना पड़ेगा।

इधर भारत में गेहूं पर आयात शुल्क के ढांचे में बदलाव होने की चर्चा चल रही है। सरकार आयात शुल्क को यदि कम या खत्म करती है तो वैश्विक बाजार में गेहूं का भाव तेजी से उछलकर काफी ऊंचे स्तर पर पहुंच सकता है।

हालांकि वैधानिक रूप से भारत में गेहूं के आयात पर कोई प्रतिबंध नहीं लगा हुआ है लेकिन 40 प्रतिशत का भारी-भरकम सीमा शुल्क लागू होने से इसका आयात आर्थिक दृष्टि से लाभप्रद साबित नहीं हो रहा है।

सामान्य तौर पर भारत गेहूं के मामले में आत्मनिर्भर है लेकिन इस बार लम्बे अंतराल के बाद इसे इसके आयात की आवश्यकता महसूस हो रही है क्योंकि घरेलू थोक मंडियों में आपूर्ति एवं उपलब्धता काफी घटने से कीमतों में तेजी का माहौल बना हुआ है।

यह देखना दिलचस्प कि सरकार सीमा शुल्क के सम्बन्ध में किस तरह का निर्णय लेती है क्योंकि उस पर ही गेहूं का आयात काफी हद तक निर्भर करेगा। भारत में यदि आयात शुरू हुआ तो वैश्विक बाजार में गेहूं का भाव तेज हो सकता है।

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