iGrain India - कीव । काला सागर क्षेत्र में अवस्थित रूस के पड़ोसी देश- यूक्रेन में गेहूं की फसल पर इस बार प्रतिकूल मौसम का अत्यन्त गहरा प्रभाव पड़ रहा है। विगत वर्षों में वहां गेहूं के कुल उत्पादन में मिलिंग क्वालिटी के माल की भागीदारी 70 प्रतिशत से भी ज्यादा रहती थी जो इस बार घटकर 40 प्रतिशत के आसपास सिमट जाने की संभावना है।
इसका मतलब यह हुआ कि लगभग 60 प्रतिशत गेहूं फीड क्वालिटी का होगा। इतना ही नहीं बल्कि खराब मौसम के कारण यूक्रेन में गेहूं की औसत उपज दर तथा कुल पैदावार में भी गिरावट आने का अनुमान लगाया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि यूक्रेन दुनिया में गेहूं के अग्रणी निर्यातक देशों में शामिल है। यूक्रेनियन एग्रेरियन कौंसिल (यूएसी) ने आगाह किया है कि इस बार वैश्विक खाद्य आपूर्ति का संकट कुछ ज्यादा गंभीर हो सकता है क्योंकि यूक्रेन से गेहूं सहित अन्य अनाजों के निर्यात में अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है।
ध्यान देने की बात है कि यूक्रेन गेहूं का एक परम्परागत उत्पादक देश है लेकिन वहां गेहूं की क्वालिटी एवं उसमें प्रोटीन के पर्याप्त अंश की उपस्थिति मुख्यत: मौसम पर निर्भर करती है। कौंसिल की एक रिपोर्ट के अनुसार इस बार असली समस्या खराब क्वालिटी की है।
गेहूं के दाने में प्रोटीन का अंश काफी घट गया है। यूरोप के कई अन्य देशों में भी कमजोर गुणवत्ता वाली फीड क्वालिटी के गेहूं का विशाल स्टॉक देखा जा रहा है।
इससे 2023-24 के वर्तमान मार्केटिंग वर्ष के दौरान वैश्विक स्तर पर अच्छी क्वालिटी के मिलिंग ग्रेड वाले गेहूं की आपूर्ति एवं उपलब्धता घटने की आशंका है।
उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक यूक्रेन में 4 अगस्त 2023 तक 125 लाख टन गेहूं का उत्पादन हुआ और इसकी औसत उपज दर 4.64 टन प्रति हेक्टेयर दर्ज की गई।
व्यापार विश्लेषकों का कहना है कि यूक्रेन में चालू वर्ष के दौरान गेहूं का कुल उत्पादन 202 लाख टन तक पहुंच सकता है जो गत वर्ष के लगभग बराबर होगा लेकिन पूर्व निर्धारित अनुमान से काफी कम है।
यूक्रेन से गेहूं एवं अन्य अनाजों के निर्यात शिपमेंट में अनिश्चितता अभी बरकरार है जबकि लगभग 75 लाख टन गेहूं के समतुल्य फसल अभी वहां खेतों में खड़ी है। इसकी कटाई-तैयारी जारी है।