iGrain India - नई दिल्ली । पहले यह माना जा रहा था कि बड़े-बड़े किसानों तथा स्टॉकिस्टों / बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा माल का स्टॉक रोके जाने से प्रमुख उत्पादक राज्यों की थोक मंडियों में गेहूं की आपूर्ति कम हो रही है और कीमतों में तेजी आ रही है लेकिन अब जो नए आंकड़े सामने आ रहा हैं उससे साफ पता चलता है कि गेहूं की कमी का कारण जमाखोरी नहीं है।
आधिकारिक आंकड़ों से ज्ञात होता है कि समूचे देश की थोक मंडियों में गेहूं की आवक में लगभग वही रुख रहा जो पिछले 17 वर्षों से चला आ रहा है।
ध्यान देने की बात है कि भारत सरकार गेहूं की कम आपूर्ति के लिए व्यापारियों तथा बड़े उत्पादकों को दोषी ठहराती है और इसलिए उसने इस पर भंडारण सीमा भी लागू कर रखा है। इसके अलावा पिछले साल से ही गेहूं एवं इसके उत्पादों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा हुआ है।
कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष मार्च से जुलाई के दौरान थोक मंडियों में 212.90 लाख टन गेहूं की आवक हुई जो कुल अनुमानित रिकॉर्ड उत्पादन 1127.40 लाख टन का 19 प्रतिशत है।
इसमें सरकारी क्रय केन्द्रों पर आने वाला गेहूं शामिल नहीं है। इसके मुकाबले मार्च-जुलाई 2022 के दौरान थोक मंडियों में 207.70 लाख टन गेहूं आयात था जो उस वर्ष के कुल उत्पादन 1077.40 लाख टन का 19 प्रतिशत ही था। इसका मतलब यह है कि गेहूं की आवक का अनुपात बराबर ही रहा।
इसके अलावा सरकारी स्तर पर गेहूं की खरीद 2022 के 187.90 लाख टन से करीब 80 लाख टन बढ़कर 2023 में 262.03 लाख टन पर पहुंच गया जबकि इसके घरेलू उत्पादन में 50 लाख टन की बढ़ोत्तरी का अनुमान लगाया गया है।
एक अग्रणी समीक्षक का कहना है कि सरकार को अपने उत्पादन अनुमान पर संदेह किए बिना केन्द्रीय पूल से खुले बाजार में अधिक से अधिक मात्रा में गेहूं का स्टॉक उतारने की जरूरत थी ताकि घरेलू बाजार में इसकी आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने तथा कीमतों को नियंत्रित रखने में सहायता मिल सके।
पिछले साल उसने इस प्रक्रिया में काफी देर कर दी थी जिससे जनवरी 2023 तक आते-आते इस महत्वपूर्ण खाद्यान्न का भाव उछलकर नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अब खुले बाजार बिक्री योजना के तहत 50 लाख टन गेहूं उतारने का फैसला किया है जिसकी बिक्री चरणबद्ध रूप से 31 मार्च 2024 तक की जाएगी। पहले 15 लाख टन की मात्रा नियत हुई थी।
प्राप्त आंकड़ों के अनुसार मार्च-जुलाई के दौरान वर्ष 2014 से 2018 के बीच कुल उत्पादन के 26.37 प्रतिशत गेहूं की आवक थोक मंडियों में हुई जबकि वर्ष 2019 में यह घटकर 22 प्रतिशत रह गई।
गेहूं की आवक कुल उत्पादन के सापेक्ष वर्ष 2020 में 14 प्रतिशत एवं 2021 में 16 प्रतिशत दर्ज की गई क्योंकि उस समय कोरोना महामारी का भयंकर दौर चल रहा था।