iGrain India - हैदराबाद । देश के दक्षिणी राज्य- तेलंगाना में धान का वार्षिक उत्पादन बढ़कर 2 करोड़ टन से ऊपर पहुंचने तथा इस सम्पूर्ण मात्रा की प्रोसेसिंग करने के लिए राज्य में पर्याप्त मिलिंग क्षमता मौजूद नहीं होने से सरकार की चिंता बढ़ गई है।
तेलंगाना सरकार ने नई मिलिंग नीति तथा राज्य में खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को बढ़ावा देने हेतु विभिन्न उपायों का सुझाव देने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है। यह समिति धान की नीलामी के लिए तौर-तरीकों पर भी विचार करेगी।
तेलंगाना में मिलिंग उद्योग की वित्तीय स्थिति की जांच-पड़ताल करेगी और धान के बढ़ते उत्पादन के अनुकूल मिलिंग क्षमता बढ़ाने हेतु सुझावों की एक सूची तैयार करेगी।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल तेलंगाना को धान के मोर्चे पर गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ा था और मिलर्स द्वारा सही समय पर प्रोसेसिंग नहीं करने के कारण केन्द्रीय पूल में कस्टम मिल्ड चावल (सीएमआर) की आपूर्ति करने में भारी कठिनाई हुई थी। इस मुद्दे पर केन्द्र से उसका टकराव भी हुआ था।
दरअसल अनेक छोटी-बड़ी सिंचाई परियोजनाओं को पूरा होने से तेलंगाना में धान की खेती के प्रति आकर्षण एवं उत्साह काफी बढ़ गया है। सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर किसानों से विशाल मात्रा में धान की खरीद की जाती है इसलिए उत्पादकों को निश्चित कीमत प्राप्त होने का भरोसा रहता है।
पिछले सीजन में केन्द्र सरकार ने मिलों से चावल प्राप्त करने की नियत समय सीमा में एक बार से अधिक बढ़ोत्तरी की थी लेकिन जब विस्तारित अवधि में भी सम्पूर्ण कोटे के चावल की आपूर्ति संभव नहीं हो सकी तब उसने समय सीमा को और आगे बढ़ाने से इंकार कर दिया। इसके फलस्वरूप लगभग 4 लाख टन धान की प्रोसेसिंग बाकी रह गई।
तेलंगाना में अपर्याप्त मिलिंग क्षमता को देखते हुए केन्द्र ने राज्य सरकार से इसे बढ़ाने के लिए कहा है ताकि पिछले साल वाली हालत की पुनरावृत्ति न हो सके।
यद्यपि तेलंगाना राज्य के गठन के बाद से वहां धान का उत्पादन करीब चार गुना बढ़ गया है मगर इसकी मिलिंग क्षमता का ज्यादा विकास-विस्तार नहीं हुआ है जिससे धान की प्रोसेसिंग सही समय पर पूरी नहीं हो पाती है।