iGrain India - वायनाड । केन्द्र सरकार ने कालीमिर्च का न्यूनतम आयात मूल्य 500 रुपए प्रति किलो निर्धारित कर रखा है जबकि उत्पादक मंडियों एवं कोच्चि के टर्मिनल मार्केट में इसका भाव उछलकर उससे 50-100 रुपए प्रति किलो ऊपर पहुंच गया है।
इससे भारतीय आयातकों को खासकर श्रीलंका से कालीमिर्च का आयात बढ़ाने का प्रोत्साहन मिल सकता है। इसी तरह कुछ आयातक वियतनाम एवं ब्राजील तक से श्रीलंका से सस्ती कालीमिर्च मांगकर उसे भारत में 8 प्रतिशत सीमा शुल्क के भुगतान के साथ आयात कर सकते हैं।
घरेलू प्रभाग में कालीमिर्च की मांग एवं खपत काफी बढ़ गई है। एक अग्रणी समीक्षक के अनुसार निर्यात जरूरत के साथ इसकी कुल मांग बढ़कर 80-85 हजार टन तक पहुंच जाने की संभावना है।
देश में कालीमिर्च के स्टॉक की कमी है और नई फसल करीब साढ़े चार माह दूर है। बीच में त्यौहारी सीजन है। केरल और कर्नाटक के प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में पर्याप्त वर्षा नहीं होने से इस बार कालीमिर्च की फसल को नुकसान होने की आशंका है जिससे इसके उत्पादन में गिरावट आ सकती है।
मोटे अनुमान के अनुसार देश में कालीमिर्च के कुल उत्पादन में कर्नाटक की भगीदारी 55 प्रतिशत एवं केरल की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत रहती है। शेष 5 प्रतिशत का योगदान तमिलनाडु देता है।
उत्पादक संगठनों का कहना है कि यदि कालीमिर्च के दाम में आगे और इजाफा होता है तो वियतनाम सहित अन्य देशों से इसका आयात स्वाभाविक रूप से बढ़ जाएगा। ऐसी हालत में भारतीय उत्पादकों को मूल्य वृद्धि का सीमित फायदा होगा जबकि आयातकों को भरपूर लाभ मिल सकता है।
इप्सता के अध्यक्ष का कहना है कि आर्थिक मंदी के कारण वैश्विक बाजार और खासकर अमरीका, चीन तथा यूरोपीय संघ में कालीमिर्च की मांग सुस्त पड़ गई है लेकिन भारतीय अर्थ व्यवस्था ठीक ढंग से बढ़ रही है इसलिए घरेलू प्रभाग में और खासकर मसाला निर्माताओं में इसकी अच्छी मांग रहने की उम्मीद है। जलवायु परिवर्तन कालीमिर्च के उत्पादन पर भारत के साथ-साथ अन्य प्रमुख उत्पादक देशों में भी गहरा असर पड़ने की संभावना है।