iGrain India - मांडले । म्यांमार के चावल निर्यातकों को भरोसा है कि दुनिया के सबसे प्रमुख निर्यातक देश- भारत से गैर बासमती (सामान्य) सफेद (कच्चे) चावल की आपूर्ति रुकने से उसे इस महत्वपूर्ण खाद्यान्न शिपमेंट बढ़ाने में अच्छी सफलता मिल सकती है।
भारतीय चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगने के बाद वैश्विक बाजार मूल्य में भारी उछाल आने से भी म्यांमार के निर्यातक खुश हैं। म्यांमार में अभी चावल का सीमित स्टॉक है लेकिन आगामी महीनों में नए उत्पादक के सहारे उसे इसका शिपमेंट बढ़ाने में सफलता मिल सकती है।
मालूम हो कि इस बार चीन के उत्तरी एवं पूर्वोत्तर प्रांतों में प्रचंड वर्षा एवं भयंकर बाढ़ से धान की फसल को काफी नुकसान हो रहा है जिससे वहां विदेशों से चावल का आयात बढ़ने की उम्मीद है।
म्यांमार और चीन की सीमा आपस में मिलती है इसलिए वहां सीमा के आरपार का कारोबार जोर पकड़ सकता है।
निर्यातकों के अनुसार एक तरफ भारत से कच्चे चावल का निर्यात बंद हो गया है जबकि दूसरी ओर थाईलैंड एवं वियतनाम में इसका भाव उछलकर पिछले कई वर्षों के शीर्ष स्तर पर पहुंच गया है।
ऐसी हालत में विदेशी आयातकों को अन्य आपूर्तिकर्ता देश की तलाश करने के लिए विवश होना पड़ेगा और म्यांमार इसका एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है।
वैश्विक बाजार में चावल की आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति जटिल होने से म्यांमार को अपने खाद्यान्न का निर्यात बढ़ाने में सहायता मिल रही है।
उल्लेखनीय है कि चालू वित्त वर्ष के आरंभिक चार महीनों के दौरान म्यांमार से चावल के निर्यात में 56 प्रतिशत की जोरदार गिरावट आ गई थी। म्यांमार राइस फेडरेशन के अध्यक्ष का कहना है कि वर्तमान वित्त वर्ष के लिए 1 अरब डॉलर मूल्य के चावल का निर्यात करने का लक्ष्य रखा गया है और अब इसके हासिल होने की उम्मीद बढ़ गई है।
प्राप्त आंकड़ों के अनुसार अप्रैल-जुलाई 2023 के चार महीनों के दौरान म्यांमार से 13.80 करोड़ डॉलर मूल्य के 3.80 लाख टन चावल का निर्यात हुआ। सरकार ने उच्च श्रेणी के चावल के निर्यात को प्राथमिकता देने का फैसला किया है।