iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार ने नवम्बर 2022 के प्रथम सप्ताह में 2022-23 के मार्केटिंग सीजन के लिए 60 लाख टन चीनी का निर्यात कोटा निर्धारित करते हुए मिलर्स / निर्यातक को हर हाल में 31 मई 2023 तक अपने कोटे का शिपमेंट पूरा कर लेने का निर्देश दिया था।
चूंकि वैश्विक बाजार भाव ऊंचा एवं तेज चल रहा था इसलिए भारतीय उद्योग को नियत समय सीमा के अंदर चीनी के सम्पूर्ण कोटे का निर्यात करने में कोई परेशानी नहीं हुई। इस बीच चीनी के घरेलू उत्पादन में गिरावट आने के संकेत मिलने लगे और इसलिए सरकार ने 1 जून 2023 से इसका निर्यात रोक दिया।
अब 2023-24 का नया मार्केटिंग सीजन अक्टूबर में आरंभ होने वाला है लेकिन इस सीजन में चीनी का घरेलू उत्पादन 2022-23 सीजन के लगभग बराबर या उससे कुछ कम होने की संभावना है।
इससे सरकार को चीनी का नया निर्यात कोटा घोषित करने के लिए कई बार सोचना पड़ेगा। इसके कुछ खास कारण हैं। खाद्य महंगाई का ग्राफ काफी ऊंचा चल रहा है जबकि चालू वर्ष की अंतिम तिमाही में मध्य प्रदेश, राजस्थान एवं छत्तीसगढ़ में विधानसभा तथा अगले साल की पहली छमाही में लोकसभा का चुनाव होने वाला है और सरकार इस अवधि के दौरान ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहेगी जिससे खाद्य महंगाई में इजाफा हो तथा आम लोगों की कठिनाई बढ़े।
समझा जाता है कि कम से कम मार्च 2024 तक सरकार चीनी का निर्यात खोलने का निर्णय नहीं ले सकेगी और न ही चीनी के घरेलू बाजार भाव को जरूरत से ज्यादा उछलने देगी।
चीनी के निर्यात से मिलर्स को अपना अधिशेष स्टॉक घटाने तथा अच्छी आमदनी अर्जित करने में सहायता मिल रही थी और गन्ना मूल्य बकाए का भुगतान करना सुविधाजनक हो गया था।
यदि 2023-24 के मार्केटिंग सीजन में चीनी का निर्यात बंद रहता है तो मिलर्स को इस कमाई से वंचित होना पड़ेगा और अपना सारा उत्पादन घरेलू प्रभाग में बेचने के लिए विवश होना पड़ेगा।
अंतर्राष्ट्रीय बाजार चीनी का भाव काफी ऊंचा एवं तेज चल रहा है। इस्मा ने अपने आरंभिक अनुमान में 2023-24 सीजन के दौरान 316.80 लाख टन चीनी के घरेलू उत्पादन की संभावना व्यक्त की है जो 2021-22 सीजन के उत्पादन 328 लाख टन से 11.20 लाख टन कम है।
दूसरी ओर सरकार ने चीनी का उत्पादन 325-328 लाख टन के करीब होने का अनुमान लगाया है जो चालू सीजन के लगभग बराबर ही है।