iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार द्वारा खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत बेचे जाने वाले गेहूं की मात्रा 15 लाख टन से बढ़ाकर 50 लाख टन निर्धारित किए जाने, इसका न्यूनतम आरक्षित मूल्य (रिजर्व प्राइस) एफएक्यू के लिए 2150 रुपए प्रति क्विंटल तथा यूआरएस के लिए 2125 रुपए प्रति क्विंटल नियत करने,
गेहूं पर भंडारण सीमा का आदेश लगाने तथा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत नियमित रूप से सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में गेहूं की आपूर्ति जारी रखे जाने के बावजूद थोक एवं खुदरा बाजार में इस महत्वपूर्ण खाद्यान्न एवं इसके मूल्य संवर्धित उत्पादों की कीमतों में नरमी आने का कोई संकेत नहीं मिल रहा है जबकि पिछले साल से ही इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगा हुआ है और केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने 2022-23 के रबी सीजन में गेहूं का घरेलू उत्पादन उछलकर 1127.40 लाख टन के सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंच जाने का अनुमान लगाया है।
उद्योग व्यापार समीक्षकों के अनुसार गेहूं का वास्तविक उत्पादन सरकारी अनुमान से बहुत कम हुआ है और छोटे-छोटे किसान अपना लगभग सारा स्टॉक पहले ही बेच चुके हैं।
अब बड़े-बड़े उत्पादकों एवं बड़ी कंपनियों के पास ही इसका स्टॉक बचा हुआ है इसलिए मंडियों में सीमित मात्रा में इसकी आवक हो रही है। आगे भी आपूर्ति की रफ्तार बढ़ने की उम्मीद कम है जबकि दूसरी ओर इसकी मांग मजबूत बनी हुई है।
रोलर फ्लोर मिलर्स को पर्याप्त मात्रा में गेहूं प्राप्त नहीं हो रहा है। ओएमएसएस के तहत कोई खरीदार प्रत्येक सप्ताह अधिक से अधिक 100 टन तथा प्रत्येक माह 400 टन तक गेहूं खरीद सकता है जबकि बड़े रोलर फ्लोर प्लांटों में प्रतिमाह 2000/3000 टन गेहूं की प्रोसेसिंग होती है।
अपनी जरूरत का शेष गेहूं उसे खुले बाजार से खरीदना पड़ रहा है जबकि वहां स्टॉक कम है। इसलिए गेहूं के दाम में तेजी-मजबूती का रुख बना हुआ है।