iGrain India - रंगून । म्यांमार सरकार ने निर्यातकों को मुख्यत: उच्च क्वालिटी के चावल के निर्यात पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए कहा है कि सामान्य चावल की घरेलू आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति सुगम बनी रहे और इसकी कीमतों में ज्यादा उछाल न आ सके।
निर्यातकों का कहना है कि सरकार के इस निर्देश के कारण म्यांमार से चावल का निर्यात केवल कुछ धनी देशों तक सिमट कर रह जाएगा क्योंकि उच्च श्रेणी के चावल का निर्यात ऑफर मूल्य 600-700 डॉलर प्रति टन रहता है जबकि सामान्य श्रेणी के चावल का ऑफर मूल्य 300-400 डॉलर प्रति टन ही होता है।
चीन, फिलीपींस एवं बेल्जियम जैसे देश म्यांमार के चावल के प्रमुख खरीदार हैं। म्यांमार हाउस फेडरेशन (एमआरएफ) के अध्यक्ष का कहना है कि भारत में सफेद चावल के निर्यात पर लगे प्रतिबंध से म्यांमार को इस अर्थ में फायदा होगा कि थाईलैंड और वियतनाम जैसे प्रतिस्पर्धी निर्यातक देशों में सामान्य श्रेणी के चावल का दाम बढ़कर म्यांमार के उच्च क्वालिटी वाले चावल के समकक्ष पहुंच गया है इसलिए कई गैर परम्परागत आयातक देश इसकी खरीद के प्रति आकर्षित हो सकते हैं।
पिछले दो वित्त वर्षों के दौरान म्यांमार से 80-80 करोड़ डॉलर से अधिक मूल्य के चावल का निर्यात हुआ। चालू वित्त वर्ष के शुरूआती चार महीनों का निर्यात प्रदर्शन बहुत कमजोर रहा लेकिन अब इसमें नियमित सुधार आने की उम्मीद है।
चालू वित्त वर्ष के लिए एक अरब डॉलर मूल्य के चावल का निर्यात नियत किया गया है और फेडरशन को इसके हासिल हो जाने का भरोसा है। पिछले साल म्यांमार संसार में चावल का छठा सबसे बड़ा निर्यातक देश बन गया था।
इस क्रम में पांच शीर्ष निर्यातक देश- भारत, थाईलैंड, वियतनाम, पाकिस्तान एवं अमरीका थे। म्यांमार दक्षिण पूर्व एशिया में अवस्थित भारत का पड़ोसी देश है। कई अन्य देशों की भांति वह भी खाद्य असुरक्षा का संकट झेलता रहा है।