iGrain India - मुम्बई । खरीफ सीजन की सबसे प्रमुख दलहन फसल- अरहर (तुवर) के दो शीर्ष उत्पादक राज्यों- कर्नाटक एवं महाराष्ट्र में इस बार मानसूनी बारिश की स्थिति अलग-अलग देखी जा रही है लेकिन जो एक बात समान है वह यह है कि दोनों प्रांतों में तुवर की बिजाई गत वर्ष से कम हुई है।
लगभग सामान्य वर्षा तथा अत्यन्त ऊंची कीमत के बावजूद कर्नाटक में अरहर के बिजाई क्षेत्र में आई गिरावट से उद्योग-व्यापार क्षेत्र हैरान है। कुछ समीक्षकों का कहना है कि तीन-चार जिलों में बारिश ने तब जोर पकड़ी जब तुवर की बिजाई का आदर्श समय लगभग समाप्त हो गया था।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार सामान्य औसत स्तर के मुकाबले इस बार कर्नाटक के कुछ प्रमुख तुवर उत्पादक जिलों में मानसून की बारिश कुछ अधिक हुई है।
इसके तहत यह वर्षा गुलबर्गा (कलबुर्गी) में 13 प्रतिशत, बीदर में 14 प्रतिशत, तथा रायचूर में 4 प्रतिशत ज्यादा हुई। दूसरी ओर मानसून की बारिश वीजापुर में 6 प्रतिशत, बेलगाम में 16 प्रतिशत, यद्गीर में 5 प्रतिशत, बगलकोट में 15 प्रतिशत तथा गडग में 1 प्रतिशत कम हुई है। कुल मिलाकर वहां बारिश की स्थिति सामान्य मानी जा सकती है।
जहां तक महाराष्ट्र का सवाल है तो वहां सामान्य औसत की तुलना में मानसून की वर्षा लातूर में 2 प्रतिशत, नांदेड में 33 प्रतिशत तथा यवतमाल में 7 प्रतिशत अधिक होने की सूचना है मगर दूसरी ओर अमरावती में 30 प्रतिशत, अकोला एवं अहमदनगर में 26-26 प्रतिशत,
जालना में 50 प्रतिशत, गढ़ चिरौली में 9 प्रतिशत, बुल्ढाणा में 19 प्रतिशत, सांगली में 41 प्रतिशत, कोल्हापुर में 11 प्रतिशत, हिंगोली में 35 प्रतिशत, परभणी में 25 प्रतिशत, वर्धा में 18 प्रतिशत, उस्मानाबाद में 12 प्रतिशत तथा सोलापुर में 17 प्रतिशत कम बारिश हुई है।
महाराष्ट्र के अधिकांश जिलों में वर्षा का अभाव रहा जिससे किसानों को शुरूआती दौर में तुवर की बिजाई करने में अपेक्षित सफलता नहीं मिल सकी लेकिन बाद में जहां-जहां बारिश हुई वहां उत्पादकों ने अवसर नहीं गंवाया। इसके फलस्वरूप राज्य में तुवर के बिजाई क्षेत्र में गिरावट का अंतर काफी कम रह गया।