iGrain India - तिरुअनन्तपुरम । मौसम विभाग का कहना है कि 18 अगस्त तक बंगाल की खाड़ी के उत्तरी भाग के ऊपर एक कम दाब का क्षेत्र बन सकता है लेकिन ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि यह क्षणिक होगा और इसका प्रभाव भी सीमित क्षेत्र में ही रहेगा।
अगले सप्ताह देश के पूर्वी एवं पूर्व-मध्यवर्ती क्षेत्र के साथ-साथ बाढ़ग्रस्त पश्चिमोत्तर भाग के तराई वाले इलाकों एवं पूरब के राज्यों में वर्षा हो सकती है।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार सप्ताह के अधिकांश दिनों के दौरान मध्यवर्ती, पूर्वी तथा पूर्वोत्तर राज्यों एवं प्राद्वीपीय (दक्षिणी) भारत के उत्तरी भाग में बारिश होने की संभावना है।
कुल मिलाकर मध्यवर्ती भारत में वर्षा सामान्य औसत से अधिक तथा पूर्वी पूर्वोत्तर एवं दक्षिण भारत के अधिकतर इलाकों में सामान्य या इससे अधिक हो सकती है। दूसरी ओर देश के पश्चिमोत्तर प्रांतों में सामान्य से कम वर्षा होने की संभावना है।
मौसम विभाग को उम्मीद है कि 18-19 अगस्त को केवल तटीय आंध्र प्रदेश तथा 19 अगस्त को तेलंगाना में हल्की बारिश हो सकती है या गरज-चमक के साथ बौछारें पड़ सकती है। कहीं-कहीं भारी बारिश भी होने की संभावना है।
उपरोक्त भागों को छोड़कर अन्य क्षेत्रों में वर्षा बहुत कम या नगण्य होगी। वैश्विक मॉडल्स से पता चलता है कि दक्षिण भारत का जो इलाका अभी शुष्क है वहां सितम्बर के आरंभ में भारी बारिश हो सकती है।
राष्ट्रीय स्तर पर सामान्य औसत की तुलना में वर्षा की कमी 5 प्रतिशत रह गई है। पूर्वी विषुवतीय प्रशांत महासागर में अलनीनो मौसम चक्र का निर्माण होने से क्षेत्रीय बारिश पर इसका प्रकोप एवं प्रभाव बढ़ने की संभावना है।
एक अग्रणी मानसून विशेषज्ञ के अनुसार इस बार मानसून ब्रेक का समय सर्वाधिक लम्बी अवधि में से एक है और एक साथ यह 10 दिनों तक चला है। सबसे लम्बा समय 18 जुलाई से 3 अगस्त 1972 में दर्ज किया गया था जब मानसून की वर्षा बहुत कम हुई थी।
आमतौर पर जुलाई के अंत एवं अगस्त के आरंभ के दिनों में मानसून का ब्रेक (ठहराव) होता है जबकि उससे पूर्व यह काफी सक्रिय रहता है।