iGrain India - मुम्बई । चीन तथा बांग्ला देश में तेजा वैरायटी की लालमिर्च को इसके तीखेपन के कारण काफी पसंद किया जाता है जबकि श्रीलंका और मलेशिया के आयातक सुपर 10 किस्म की लालमिर्च की खरीद को प्राथमिकता देते हैं जिसका तीखापन मध्यम श्रेणी का होता है।
उद्योग- व्यापार क्षेत्र के समीक्षकों का मानना है कि आगामी सप्ताहों के दौरान इन दोनों किस्मों की लालमिर्च की निर्यात मांग मजबूत रह सकती है जिससे इसके घरेलू बाजार मूल्य पर सकारात्मक असर पड़ेगा।
अखिल भारतीय लालमिर्च निर्यातक संघ के चेयरमैन का कहना है कि चीन की भारी मांग के कारण मई में तेजा लालमिर्च का भाव बढ़कर 220-240 रुपए प्रति किलो पर पहुंचा था जो बाद में घटकर नीचे आ गया। अब एक बार फिर इसका दाम मई के स्तर पर पहुंच जाने की उम्मीद है।
चेयरमैन के मुताबिक भारत में लालमिर्च का स्टॉक अभी गत वर्ष के लगभग बराबर ही है। गुंटूर एवं आंध्र प्रदेश में लगभग 60 लाख बोरी (40 किलो की प्रत्येक बोरी) लालमिर्च का स्टॉक मौजूद होने का अनुमान है।
इसके अलावा तेलंगाना में करीब 27 लाख बोरी एवं कर्नाटक में तकरीबन 30 लाख बोरी लालमिर्च का स्टॉक पड़ा हुआ है जिसका उपयोग घरेलू एवं निर्यात मांग को पूरा करने में किया जाएगा।
चेयरमैन के अनुसार मार्च से मई के दौरान जिन व्यापारियों / स्टॉकिस्टों ने ऊंचे भाव पर लालमिर्च की खरीद करके स्टॉक बनाया था वे नीचे दाम पर इसे बेचने के लिए तैयार नहीं हैं।
उन्हें घरेलू एवं वैश्विक बाजार भाव बढ़ने का इंतजार है और ऐसा लगता है कि आगामी समय में उसकी प्रतीक्षा खत्म हो जाएगी। आमतौर पर नवम्बर-दिसम्बर में लालमिर्च की मांग एवं कीमत बढ़ जाती है लेकिन इस बार उससे पहले ही बाजार में तेजी का माहौल बनने की संभावना है।
खम्माम के एक निर्यातक का कहना है कि तेजा लालमिर्च का भाव मुख्यत: चीन तथा बांग्ला देश की मांग पर निर्भर करेगा। यदि अगले कुछ सप्ताहों में उम्मीद के अनुरूप चीन की मांग बड़ी तो इसके दाम में 2000 से 4000 रुपए प्रति क्विंटल तक का भारी इजाफा हो सकता है।
चीन में एक तो लालमिर्च का स्टॉक बहुत घट गया है और दूसरे बाढ़ वर्षा से फसल को भी काफी नुकसान हुआ है इसलिए उसे जल्दी ही भारत से विशाल मात्रा में इसका आयात करने के लिए विवश होना पड़ेगा।