iGrain India - पुणे । देश के दो प्रमुख उत्पादक राज्यों- महाराष्ट्र एवं कर्नाटक में मौजूदा मानसून सीजन के दौरान वर्षा कम होने से गन्ना की फसल प्रभावित हो रही है जिससे 2023-24 के मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितम्बर) में चीनी का उत्पादन कुछ घट सकता है।
नेशनल फेडरेशन ऑफ को ऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज के चेयरमैन का कहना है कि यदि उत्पादन में विशेष गिरावट आती है तो घरेलू मांग एवं जरूरत को पूरा करने के लिए केन्द्र सरकार चीनी के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बारे में भी सोच सकती है।
चेयरमैन के अनुसार 2023-24 सीजन के लिए 330 लाख टन चीनी के घरेलू उत्पादन का अनुमान लगाया गया है मगर वास्तविक उत्पादन इससे कम हो सकता है।
अगले सीजन के लिए करीब 65 लाख टन चीनी का बकाया अधिशेष स्टॉक मौजूद रहने की संभावना व्यक्त की गई थी लेकिन सरकार विशाल मात्रा में इसकी मासिक बिक्री का कोटा नियत कर रही है।
चीनी की घरेलू वार्षिक खपत 275 लाख टन होने की उम्मीद है जबकि 50 लाख टन चीनी के समतुल्य गन्ना का उपयोग एथनॉल निर्माण में किया जा सकता है।
इस तरह चीनी की मांग एवं आपूर्ति का समीकरण टाईट रह सकता है और सरकार को देश से इसका निर्यात करने की अनुमति देने में भारी कठिनाई हो सकती है।
वैसे भी अगले साल की पहली छमाही के दौरान लोकसभा का चुनाव होने वाला है और खाद्य महंगाई की दर भी ऊंची है इसलिए सरकार कोई अतिरिक्त जोखिम नहीं उठाना चाहेगी।
फेडरेशन के चेयरमैन का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों से भारत से चीनी का अच्छा निर्यात हो रहा है। 2021-22 के सीजन में यह बढ़कर 110 लाख टन के सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया था मगर 2022-23 के सीजन में 60-61 लाख टन पर पहुंच कर रुक गया।
वैसे चीनी का उत्पादन घटने के बावजूद एथनॉल उत्पादन का लक्ष्य हासिल हो जाने की उम्मीद है। सरकार को भरोसा है कि 2023-24 के सीजन में चीनी का उत्पादन 2022-23 सीजन के लगभग बराबर ही होगा मगर यह भरोसा महाराष्ट्र एवं कर्नाटक की स्थिति पर आश्रित है जो देश में चीनी का क्रमश: पहला एवं तीसरा सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य है।
इस्मा ने चीनी का उत्पादन घटने का आरंभिक अनुमान व्यक्त किया था लेकिन सरकार ने इसे खारिज कर दिया।