iGrain India - नई दिल्ली । यद्यपि केन्द्र सरकार ने उत्पादन बढ़ने की उम्मीद से 2023-24 के खरीफ मार्केटिंग सीजन के लिए चावल की खरीद का लक्ष्य कुछ बढ़ा दिया है लेकिन मानसून की बारिश की हालत को देखते हुए चावल के उत्पादन में करीब 5 प्रतिशत की गिरावट आने की संभावना व्यक्त की जा रही है।
राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान के निदेशक का कहना है कि पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, झारखंड, छत्तीसगढ़, पूर्वी उत्तर प्रदेश तथा बिहार के महत्वपूर्ण धान उत्पादक इलाकों में इस बार कम वर्षा हुई है।
संस्थान ने इन राज्यों के किसानों को धान की ऐसी प्रजातियों की खेती करने का सुझाव दिया है जो कम समय यानी 90 से 110 दिनों में पककर तैयार हो जाती है।
उसका कहना था कि यदि मानसून की असमान एवं अनियमित वर्षा से धान की फसल क्षतिग्रस्त होती है तो किसानों को 160-200 दिनों में पककर तैयार होने वाले धान की कीमतों के बजाए 90-110 दिनों वाली प्रजातियों की खेती पर ध्यान देना चाहिए।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार 2022-23 के सीजन में 1100.32 लाख टन चावल का घरेलू उत्पादन हुआ। संस्थान के निदेशक के मुताबिक अगले 15 दिन का समय धान-चावल उत्पादन की दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
यदि इस अवधि में अच्छी वर्षा होती है और पूर्व में बारिश की हुई कमी पूरी हो जाती है तो उत्पादन सामान्य स्तर पर पहुंच सकता है। लेकिन वर्षा का वितरण बेहतर होना आवश्यक है क्योंकि लगभग सभी क्षेत्रों में इसकी आवश्यकता महसूस की जा रही है।
दिलचस्प तथ्य यह है कि मौसम विभाग ने देश के 15 राज्यों में अच्छी बारिश होने की संभावना व्यक्त की है और बिहार समेत कुछ प्रांतों में वर्षा का सिलसिला शुरू भी हो गया है। उड़ीसा में मानसून देर से सक्रिय हुआ जबकि अन्य पूर्वी राज्यों के अनेक जिलों में भी सामान्य से कम बारिश हुई है।
मौसम विभाग के अनुसार 1 जून से 24 अगस्त के बीच देश के 267 जिलों में वर्षा कम या अपर्याप्त हुई जिसमें पश्चिम बंगाल के 19. उड़ीसा के 11, झारखंड के 19, बिहार के 30, उत्तर प्रदेश के 32 एवं छत्तीसगढ़ के 11 जिले भी शामिल हैं।