iGrain India - रंगून । भारत के बाद अब म्यांमार सरकार ने घरेलू खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से चावल के निर्यात पर नियंत्रण या प्रतिबंध लगाने का प्लान बनाया है।
भारत सरकार द्वारा 20 जुलाई 2023 को गैर बासमती संवर्ग के सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा किए जाने के बाद वैश्विक बाजार में इसका भाव तेजी से उछलकर काफी ऊंचे स्तर पर पहुंच गया।
यदि म्यांमार से शिपमेंट बंद हुआ तो चावल के दाम में और भी तेजी आ सकती है। उल्लेखनीय है कि भारत, थाईलैंड, वियतनाम और पाकिस्तान के बाद म्यांमार संसार का पांचवां सबसे प्रमुख चावल निर्यातक देश है। वहां से 20 लाख टन से अधिक चावल का वार्षिक निर्यात होता है।
म्यांमार चावल उद्योग के एक विश्लेषक का कहना है कि देश के घरेलू प्रभाग में चावल का भाव तेज होता जा रहा है जिस पर अंकुश लगाने के लिए सरकार चावल का निर्यात अस्थायी रूप से कुछ समय के लिए स्थगित करने की योजना बना रही है।
भारत से सफेद चावल का निर्यात बंद होने से वैश्विक बाजार में इसकी आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति काफी जटिल (टाइट) हो गई है। इसका फायदा उठाते हुए थाईलैंड और वियतनाम ने अपने चावल के निर्यात ऑफर मूल्य में भारी बढ़ोत्तरी कर दी है।
म्यांमार राइस फेडरेशन के अनुसार चालू माह (अगस्त) के अंत से अगले 15 दिनों के लिए चावल के निर्यात पर नियंत्रण लगाया जा सकता है ताकि घरेलू प्रभाग में इसकी आपूर्ति एवं उपलब्धता में इजाफा हो सके और बढ़ती कीमतों को नीचे लाने में सहायता मिल सके।
चावल का घरेलू बाजार भाव उछलने से वहां आम लोगों की कठिनाई बढ़ती जा रही है। हालांकि म्यांमार वैश्विक चावल निर्यात बाजार में भारत या थाईलैंड की तुलना में बहुत कम योगदान देता है लेकिन निर्यात नियंत्रण ऐसे समय में लगाया जा रहा है जब वैश्विक आपूर्ति की स्थिति जटिल बनी हुई है।
म्यांमार के निर्णय से वैश्विक चावल निर्यात बाजार में गलत संदेश जाएगा और कीमतों पर मनोवैज्ञानिक असर पड़ सकता है।