iGrain India - गुंटूर । लालमिर्च की फसल को इस बार दक्षिणी राज्यों में कमजोर मानसून का सामना करना पड़ रहा है। कम बारिश के कारण कई क्षेत्रों में अब तक इसकी बिजाई प्रकिया पूरी नहीं हो पाई है।
मालूम हो कि सामान्य औसत के मुकाबले इस बार आंध्र प्रदेश, कर्नाटक एवं तमिलनाडु के साथ-साथ तेलंगाना में भी लालमिर्च के प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में बारिश कम हुई है। दूसरी ओर मध्य प्रदेश के उत्पादन क्षेत्रों में भारी वर्षा से फसल को कुछ नुकसान होने की आशंका है।
वहां इसके नए माल की आवक आरंभ हो चुकी है। लेकिन वास्तविक क्षति का अनुमान अगले माह ही लगाना संभव हो पाएगा। दक्षिण भारत में भी फसल की हालत अभी पूरी तरह स्पष्ट नहीं है।
आंध्र प्रदेश में बिजाई की प्रक्रिया अब भी जारी रहने के संकेत मिल रहे हैं। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक दक्षिण भारत में अक्टूबर के अंत तक कहीं-कहीं लालमिर्च की लेट बिजाई जारी रहती है।
मसाला बोर्ड के अनुसार वर्ष 2022-23 के दौरान देश से 5.16 लाख टन लालमिर्च का निर्यात हुआ। 2023-24 के मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यानी अप्रैल-जून 2023 के दौरान लालमिर्च के निर्यात में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले करीब 30 प्रतिशत का इजाफा दर्ज किया गया।
हालांकि वर्तमान समय में लालमिर्च में चीन की मांग कमजोर है लेकिन आंधी-तूफान एवं मूसलाधार वर्षा-बाढ़ से फसल को हुए नुकसान को देखते हुए आगामी समय में वहां इसकी अच्छी मांग निकलने की संभावना है।
लालमिर्च का भाव प्रमुख उत्पादक मंडियों में ऊंचा चल रहा है। बीच-बीच में इसमें थोड़ा बहुत उतार-चढ़ाव आता रहता है। मसाला निर्माताओं द्वारा अच्छी मात्रा में इसकी खरीद की जा रही है। बांग्ला देश एवं मलेशिया को इसका निर्यात बढ़ने की उम्मीद है।