iGrain India - नई दिल्ली । मौसम विभाग का कहना है कि दक्षिण-पश्चिम मानसून अब वापस लौटने लगा है लेकिन वापसी यात्रा के दौरान देश के कई भागों में अच्छी वर्षा हो सकती है। हालांकि मानसून को 17 सितम्बर से ही वापसी यात्रा शुरू करनी चाहिए थी लेकिन इसमें आठ दिन की देर हो गई।
ऐसा प्रतीत होता है कि यह 15 अक्टूबर तक देश के सभी भागों से प्रस्थान कर जाएगा। अनुमान के अनुरूप यदि इस अवधि के दौरान काफी वर्षा हुई तो कृषि उत्पादन पर इसका आंशिक असर पड़ सकता है।
कुछ राज्यों में दलहन तिलहन की फसलेँ पकने लगी है और अक्टूबर में इसकी जोरदार कटाई-तैयारी आरंभ हो सकती है। वहां अक्टूबर की बारिश से फसलों को नुकसान हो सकता है और खासकर इसकी क्वालिटी प्रभावित हो सकती है।
लेकिन देश के पूर्वी एवं दक्षिणी राज्यों में धान की रोपाई देर से होती है इसलिए वहां वर्षा इस फसल के लिए लाभदायक साबित हो सकती है। अक्टूबर की बारिश से पंजाब, हरियाणा एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों की चिंता बढ़ने की आशंका है क्योंकि वहां धान की नई फसल की कटाई-तैयारी शीघ्र ही आरंभ होने वाली है। गुजरात एवं महाराष्ट्र में कपास की फसल इस वर्ष से प्रभावित हो सकती है।
लेकिन सितम्बर-अक्टूबर की बारिश आगामी रबी सीजन की फसलों की बिजाई में अच्छी सहायता कर सकती है। उम्मीद की जा रही है कि अक्टूबर से तापमान भी घटने लगेगा जिससे खेतों की मिटटी से नमी सूखने की तीव्रता कम हो जाएगी।
जाड़े के दिनों में उत्तर-पूर्व मानसून सक्रिय रहता है मगर इससे मुख्यत: दक्षिण भारत में वर्षा होती है जहां दक्षिण-पश्चिम मानसून सीजन के दौरान बारिश का अभाव रहा। इससे केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना एवं उड़ीसा जैसे राज्यों के किसानों को कुछ राहत मिल सकती है।
चूंकि उत्तर-पूर्व मानसून से उत्तरी भारत में बारिश काम होती है और वैश्विक मौसम मॉडल्स से पता चलता है कि जनवरी-मार्च के दौरान उत्तरी गोलार्द्ध के कई देशों में अल नीनो का जोर रह सकता है इसलिए रबी कालीन फसलों को इसके प्रतिकूल प्रभाव से बचने का कारगर उपाय करना आवश्यक होगा।
सरकार ने रबी सीजन के लिए गेहूं, दलहन एवं तिलहन फसलों का उत्पादन लक्ष्य बढ़ा दिया है मगर उसे हासिल करना आसान नहीं होगा- खासकर यह देखते हुए कि 2023-24 का सीजन अल नीनो वाला वर्ष है और इसमें वर्षा की स्थिति अनिश्चित रह सकती है।