iGrain India - नई दिल्ली । भारत में हरित क्रांति के जनक तथा देश को खाद्यान्न उत्पन्न में आत्मनिर्भर बनाने में अमूल्य योगदान देने वाले सुप्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक डॉ० एम एस स्वामिनाथन का 98 वर्ष की उम्र में 28 सितम्बर 2023 को देहांत हो गया।
हरित क्रांति से पूर्व भारत में गेहूं का आयात विशाल मात्रा में हो रहा था और कभी-कभार चावल का भी अभाव हो जाता था लेकिन डॉ० स्वामीनाथन के प्रयासों एवं उपायों से भारत इन दोनों महत्वपूर्ण खाद्यान्न के उत्पादन में पूरी तरह आत्मनिर्भर हो गया। दिलचस्प तथ्य यह है कि उन्होंने एकल स्तर पर ही देश में हरित क्रांति का सूत्रपात किया था जिसके फलस्वरूप भारत के अनाज उत्पादन में अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी हो गई।
उनका योगदान सिर्फ कृषि फसलों की उत्पादकता बढ़ाने तक सीमित नहीं है बल्कि उन्होंने भारतीय कृषि क्षेत्र में वैज्ञानिक खेती को बढ़ावा देने का भी भरपूर प्रयास किया ताकि उत्पादन संवर्धन निरंतरता बरकरार रहे। विभिन्न भागों में अलग-अलग पदों पर अपने कार्य काल के दौरान डॉ० स्वामिनाथन ने देश-विदेश में अनेक अग्रणी संस्थाओं के निर्माण में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।
वे वर्ष 1961 से 1972 तक भारतीय कृषि अनुसन्धान संस्थान (आईएआरआई), केन्द्र सरकार में कृषि अनुसन्धान एवं शिक्षा विभाग के सचिव, 1979-80 में कृषि मंत्रालय में प्रधान सचिव, 1980-82 के दौरान पहले योजना आयोग के कार्यकारी डिप्टी चेयरमैन और फिर सदस्य (विज्ञान एवं कृषि) तथा वर्ष 1982 से 1988 तक मनीला (फ़िलीपींस) में अवस्थित अंतर्राष्ट्रीय कहवाल अनुसन्धान संस्थान के महानिदेशक रहे। उन्हें अनेक राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया।