iGrain India - नई दिल्ली । हालांकि भारत और कनाडा के बीच कुटनीति के मोर्चे पर सम्बन्ध लगातार बिगड़ते जा रहे हैं लेकिन व्यापारिक रिश्ते में फिलहाल कोई दरार नहीं पड़ी है।
जानकार सूत्रों के अनुसार घरेलू बाजार में ऊंची कीमतों को नियंत्रित करने तथा बेहतर बफर स्टॉक बनने के उद्देश्य से भारत सरकार कनाडा से मसूर का आयात जारी रखे हुए है और प्राइवेट व्यापारियों को भी इसका आयात रोकने या घटने का कोई 'सुझाव' (निर्देश) नहीं दिया गया है।
केन्द्र सरकार की दो अधीनस्थ एजेंसियों- भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नैफेड) तथा राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ (एनसीसीएफ) द्वारा हाल ही में साबुत लाल मसूर की खरीद के लिए टेंडर जारी किया गया था।
इसके तहत स्थानीय व्यापारियों के साथ-साथ विदेशों से दाल मंगाने वाले आयातकों से भी मसूर की खरीद की जानी थी। टेंडर में किसी देश से आयातित मसूर पर किसी तरह का नियंत्रण या निषेध लगाने का कोई जिक्र नहीं किया गया था।
केवल मसूर की क्वालिटी भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) की विनिर्दिष्टता के अनुरूप होनी चाहिए। दोनों एजेंसियों द्वारा चालू माह के आरंभ से मसूर की खरीद के लिए प्रत्येक सप्ताह टेंडर जारी करने की प्रक्रिया आरंभ की गई है।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार मानसून की अनिश्चित एवं अनियमित वर्षा के कारण चालू खरीफ सीजन के दौरान दलहन फसलों के बिजाई क्षेत्र में कमी आ गई और अगस्त के सूखे से फसलों को कुछ नुकसान भी हुआ। इससे उत्पादन में गिरावट आने की संभावना है जबकि विभिन्न दलहनों का बाजार भाव ऊंचा एवं मजबूत बना हुआ है।
भारत और कनाडा के बीच मनमुटाव बढ़ता जा रहा है इसलिए व्यापारिक संबंधों पर आगे इसका असर पड़ने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता लेकिन यह हकीकत भी सकको ज्ञात है कि कारोबार में अवरोध दोनों पक्षों के लिए नुकसान दायक साबित होगा। कनाडा को मसूर का निर्यात और भारत को इसका आयात जारी रखना आवश्यक है।