iGrain India - मंगलोर । देश के दक्षिणी प्रांतों में उत्तर-पूर्व मानसून की सक्रियता बढ़ने से हाल के दिनों में अच्छी वर्षा हुई है जिससे खासकर कालीमिर्च, लालमिर्च, हल्दी एवं छोटी इलायची जैसी मसाला फसलों को राहत मिलने की उम्मीद है।
मालूम हो कि दक्षिण-पश्चिम मानसून के सीजन में वहां अच्छी बारिश नहीं हुई थी और मानसून पूर्व की वर्षा भी कमजोर रही थी। इससे छोटी इलायची एवं कालीमिर्च की फसल को नुकसान हुआ छोटी इलायची की तुड़ाई-तैयारी में भी देर हो गई। अब नीलामी केन्द्रों में इसकी आवक बढ़ने लगी है और त्यौहारी मांग के कारण कीमत भी मजबूत बनी हुई है।
कालीमिर्च के नए माल की छिटपुट आवक नवम्बर के अंत से आरंभ हो जाती है। मौजूदा समय की बारिश न केवल नए दाने बनने बल्कि उससे पुष्ट होने में भी सहायक साबित हो सकती है। इससे दाने की क्वालिटी में सुधार आएगा।
कर्नाटक इसका सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य है मगर वहां जून-सितम्बर के चार महीनों में बारिश का भारी अभाव रहा। समझा जाता है कि उसके दक्षिणी भाग में होने वाली वर्षा फसल के लिए लाभदायक साबित होगी।
आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु एवं कर्नाटक में हल्दी तथा लालमिर्च की बिजाई लगभग समाप्त हो चुकी है और अब फसल प्रगति के चरण में है। इस समय वहां मौसम एवं वर्षा का अनुकूल होना अत्यन्त आवश्यक है।
इन दोनों मसाला फसलों की आवक अगले साल के आरंभिक महीनों में जोर पकड़ेगी। इस बार फसल पर ब्लैक थ्रिप्स कीट का प्रकोप कम या नगण्य देखा जा रहा है जिससे अगला उत्पादन बेहतर होने की उम्मीद है।
त्यौहारी सीजन की मांग के कारण मसालों का भाव फिलहाल मजबूत बना हुआ है मगर विदेशों से कालीमिर्च एवं छोटी इलायची का आयात बढ़ने पर इसकी कीमतों पर दबाव पड़ने की संभावना है। हल्दी और लालमिर्च का दाम अगले कुछ महीनों तक मजबूत बना रह सकता है। लालमिर्च में चीन और बांग्ला देश की मांग बढ़ने के आसार हैं।