iGrain India - नई दिल्ली । भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने स्पष्ट किया है कि यदि विदेशों से कोई खाद्य उत्पाद पुनर्निर्यात अथवा मूल्य संवर्धित सामान के निर्माण के उद्देश्य से मंगाया जाता है जो कस्टम विभाग को उसके क्लीयरेंस के लिए प्राधिकरण के पास भेजने की जरूरत नहीं है।
उल्लेखनीय है कि अनेक व्यावसायिक प्रतिष्ठनों एवं उद्योगों संगठनों ने प्राधिकरण के समक्ष यह मुद्दा उठाया था और इस पर आपत्ति भी जताई थी। उसके बाद प्राधिकरण ने यह स्पष्टीकरण जारी किया है।
इस स्पष्टीकरण से व्यवसाय में आसानी होगी। दरअसल जब इस तरह का खाद्य उत्पाद बाहर से आता है तब उसकी क्वालिटी जांचने-परखने के लिए कस्टम अधिकारी उसे प्राधिकरण के पास भेजते हैं और वहां से क्लीयरेंस मिलने तक उसे बंदरगाहों पर रोककर रखा जाता था।
इसमें अनावश्यक रूप से देर हो जाती है। जब आयातकों ने प्राधिकरण के सामने यह मुद्दा उठाया जो प्राधिकरण ने स्पष्ट कर दिया कि इस तरह के विशेष उद्देश्य के लिए मंगाए जाने वाले खाद्य उत्पादों को सीधे बंदरगाहों से ही क्लीयरेंस दी जानी चाहिए।
प्राधिकरण ने कहा है कि यदि किसी कम्पनी की सहायक फर्म या पूर्ण अधीनस्थ इकाई द्वारा 100 प्रतिशत निर्यात उत्पादन के लिए किसी खाद्य उत्पाद का आयात किया जाता है तो उसकी खेप को प्राधिकरण से क्लीयरेंस प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं है।
लेकिन इसके लिए दोनों फर्मों के बीच अच्छी तरह से परिभाषित सम्बन्ध का एग्रीमेंट प्रस्तुत करना जरुरी है। और दस्तावेजों के साथ निर्यातक देश के सक्षम अधिकारी द्वारा जारी किया गया एक सैनिटरी या हेल्थ सर्टिफिकेट भी संलग्न होना चाहिए।
खाद्य उत्पाद मंगाने वाले आयातक कस्टम अधिकारियों को एक स्व घोषणा पत्र दे सकते हैं जिसके बाद सम्बन्धित अधिकारी उस आयात के क्लीयरेंस के लिए 'स्कोप में नहीं' प्रमाण पत्र जारी कर सकते हैं।