नई दिल्ली, 3 अगस्त (आईएएनएस)। दिल्ली सरकार के कैबिनेट मंत्री सौरभ भारद्वाज ने दिल्ली के शेल्टर होम में हुई मौतों को लेकर कहा कि शेल्टर होम का प्रशासक राहुल अग्रवाल रिश्वत लेने के आरोप में 5 साल तक सस्पेंड रहा है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में कौन सा अधिकारी कहां तैनात होगा, यह तय करने का अधिकार उपराज्यपाल के पास है। उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार ने उन्हें जबरन यह अधिकार दिया है। अधिकारियों की नियुक्ति उनकी गुणवत्ता और कार्यकुशलता के आधार पर की जाती है। उन्होंने कहा कि इस आशा किरण शेल्टर होम का प्रशासक राहुल अग्रवाल है। 2016 में उसे सीबीआई ने रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा था। उस समय उसके घर पर छापा पड़ा था। उसकी पत्नी सीबीआई को घर में घुसने नहीं दे रही थी।
उन्होंने आगे कहा कि सीबीआई किसी तरह घर में घुस गई तो पता चला कि छत पर पानी की टंकी के पास हीरे-जवाहरात छिपाकर रखे गए थे। उन्होंने कहा कि यह अधिकारी 5 साल तक सस्पेंड रहा। उसके बाद भी एलजी ने राहुल अग्रवाल को आशा किरण शेल्टर होम का प्रशासक बना दिया। इस तरह से एक अधिकारी लाखों-करोड़ों रुपए कमाने का रास्ता खोज लेता है।
उन्होंने कहा कि शेल्टर होम में रहने वाले लोग मानसिक रूप से कमजोर हैं। वे अपने अधिकारों के लिए कोई आरटीआई भी नहीं लगा सकते। एलजी को लोगों को बताना चाहिए कि उन्होंने भ्रष्ट अधिकारियों को ऐसे असहाय लोगों को लूटने का मौका क्यों दिया। आज घटना का दूसरा दिन है, फिर भी अधिकारी को निलंबित क्यों नहीं किया गया। यह सवाल भी एलजी से पूछा जाना चाहिए।
बता दें कि दिल्ली सरकार के समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित आशा किरण होम में पिछले 6 महीने में 25 मौतें और अकेले जुलाई में 14 मौतों की खबर सामने आने के बाद हर कोई हैरान है। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने भी मामले का संज्ञान लिया है। उन्होंने इस मामले पर न सिर्फ मुख्य सचिव से रिपोर्ट मांगी है। दिल्ली सरकार के सभी प्रमुख विभागों को सभी शेल्टर होम की स्थिति पर रिपोर्ट सौंपने और इस संबंध में श्वेत पत्र जारी करने का निर्देश दिया है।
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