नई दिल्ली, 5 अगस्त (आईएएनएस)। नई दिल्ली के रोहिणी स्थित आशा किरण शेल्टर होम में 14 दिव्यांग बच्चों की मौत मामले में सियासत गरमाई हुई है।आप विधायक कुलदीप कुमार ने सोमवार को कहा, "दिल्ली विधानसभा की याचिका समिति ने शनिवार को आशा किरण शेल्टर होम का दौरा किया था। वहीं आज शेल्टर होम के अधिकारियों की मीटिंग विधानसभा में की गई। एलजी ऑफिस से लगातार झूठा बयान जारी किया जा रहा था कि शेल्टर होम के अधिकारियों की नियुक्ति साल 2020 में हुई थी। जबकि सच्चाई यह है कि 4 अक्टूबर 2022 को प्रशासनिक अधिकारी की नियुक्ति एलजी साहब द्वारा की गई।"
एलजी ने आशा किरण शेल्टर होम की जिम्मेदारी एक ऐसे अधिकारी को दी, जो रिश्वत लेने के मामले में 5 साल से सस्पेंड चल रहा था। जिसे सीबीआई ने 2016 में रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया था और वह पांच साल तक निलंबित रहा। उसकी नियुक्ति बिना किसी मंत्री की सलाह के की गई।"
उन्होंने आगे कहा कि आशा किरण शेल्टर होम के अधिकारियों से हमें जानकारी मिली है कि वहां स्टाफ की भारी कमी है। इस बारे में हमारे मंत्री एलजी को पत्र लिख चुके हैं। हमारे मंत्री लगातार दिल्ली के अस्पतालों, मोहल्ला क्लीनिकों और शेल्टर होम में डॉक्टर समेत अन्य स्टाफ की भर्ती के लिए कह चुके हैं, लेकिन एलजी साहब के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। आशा किरण शेल्टर होम में भी डॉक्टर, नर्स, मेडिकल स्टाफ और सफाईकर्मी समेत अन्य तमाम पद खाली पड़े हैं। याचिका समिति आज एलजी साहब को पत्र लिखेगी कि इन पदों को तत्काल भरा जाए। इसके साथ ही हम एलजी साहब से पूछेंगे कि इस घटना के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के ऊपर एक्शन क्यों नहीं लिया गया और उन्हें वह बचा क्यों रहे हैं?
एक और मामला याचिका समिति के संज्ञान में आया है कि यहां पर 33 जीडीएम और एनएम की पोस्ट है, जिनका कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू नहीं किया गया। ऐसे में उनके छह महीने की सैलरी को तुरंत रिलीज किया जाए और कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू किया जाए।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी शुक्रवार को मानसिक विकलांग बच्चों के लिए दिल्ली सरकार द्वारा रोहिणी में संचालित आश्रय गृह आशा किरण में एक महीने में 14 बच्चों की मौत के संबंध में दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार से रिपोर्ट मांगी है।
--आईएएनएस
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