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अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में इस्लाम पढ़ाए जाने पर बवाल, भाजपा एमएलसी ने जताया विरोध, लिखा पत्र

प्रकाशित 05/08/2024, 11:35 pm
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में इस्लाम पढ़ाए जाने पर बवाल, भाजपा एमएलसी ने जताया विरोध, लिखा पत्र
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अलीगढ़, 5 अगस्त (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश का अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) एक बार फिर विवादों में आ गया है। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में इस्लाम पढ़ाए जाने के खिलाफ विरोध शुरू हो गया है। भारतीय जनता पार्टी के एमएलसी डॉ. मानवेंद्र प्रताप सिंह ने इस पर आपत्ति जताई है। इसके साथ ही उन्होंने इस संबध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को खत लिखा है।

मानवेंद्र प्रताप सिंह ने पत्र में लिखा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग द्वारा बीए का चार वर्षीय कोर्स, जो कि पिछले वर्ष से शुरू हुआ है, जिसमें कि बीएम प्रथम वर्ष के दोनों सेमेंस्टर में 'हिस्ट्री ऑफ इस्लाम : प्री- इस्लामिक अरेबिया से खलीफा' (661 एडी) और बीए द्वितीय सेमेस्टर में 'हिस्ट्री ऑफ इस्लाम : उमैयाद का इतिहास (661एडी) से अब्बासीद के इतिहास' (833 एडी) को एक अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाए जाने का फैसला हुआ है। इसके द्वारा भारत सरकार की राष्ट्रीय शिक्षा नीति की महत्वाकांक्षी योजना को भी धक्का लगेगा, क्योंकि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है, तथा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय केंद्र सरकार द्वारा संचालित विश्वविद्यालय है। इस प्रकार सिक्ख धर्म, जैन धर्म, हिंदू धर्म का इतिहास किसी विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में नहीं पढ़ाया जा रहा है, परंतु, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में 'इस्लाम' पढ़ाया जाना नितांत गलत है एवं गलत परंपरा को जन्म देगा। अतः इनके धर्मिक प्रारूप के स्थान पर भारत का गौरवशाली इतिहास राष्ट्रीय शिक्षा नीति में पढ़ाए जाने की व्यवस्था की जानी चाहिए, एवं इस्लामिक इतिहास पर अविलंब रोक लगाई जाए।

मानवेंद्र प्रताप सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के स्थान पर इस्लामिक शिक्षा नीति को अपनाने का जो काम किया, वो दुर्भाग्यपूर्ण है। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी चूंकि भारत सरकार के पैसे से चलती है और भारत सरकार धर्मनिरपेक्ष स्वरूप को लेकर चलती है, किसी भी केंद्रीय विश्वविद्यालय में धार्मिक विषयों को, धार्मिक इतिहास को पढ़ाए जाने की व्यवस्था पूरे भारत के अंदर नहीं है। लेकिन, जिस प्रकार से अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के बीए सेमेस्टर वन और सेमेस्टर टू में जो इतिहास पढ़ाने का फैसला किया गया है, वो धार्मिक इतिहास पढ़ाना, हिस्ट्री ऑफ इस्लाम : प्री- इस्लामिक अरेबिया से खलीफा (661 एडी) और बीए सेकंड ईयर में हिस्ट्री ऑफ इस्लाम : उमैयाद का इतिहास (661एडी) से अब्बासीद का इतिहास (833 एडी), एक प्रकार से धर्म के इतिहास को पढ़ाया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है।

उन्होंने आगे कहा कि मैं केंद्रीय शिक्षा मंत्री और भारत सरकार के प्रधानमंत्री से निवेदन करता हूं कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के स्थान पर धार्मिक शिक्षा नीति का जिस प्रकार से परिपालन अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में हो रहा है, वो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है। इस पर तत्काल रोक लगनी चाहिए। इसके स्थान पर भारत के गौरवशाली इतिहास को पढ़ाया जाना चाहिए।

--आईएएनएस

एसके/एबीएम

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