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सेक्युलर सिविल कोड के विरोध पर भड़की वीएचपी, कहा- खुद को धर्मनिरपेक्ष कहने वाले सांप्रदायिक नहीं?

प्रकाशित 18/08/2024, 08:23 pm
सेक्युलर सिविल कोड के विरोध पर भड़की वीएचपी, कहा- खुद को धर्मनिरपेक्ष कहने वाले सांप्रदायिक नहीं?

नई दिल्ली, 18 अगस्त (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले से सेक्युलर सिविल कोड की बात कही थी। उनके इस बयान का कुछ लोगों ने विरोध जताया था। हालांकि, अब इस विरोध को लेकर विश्व हिंदू परिषद की प्रतिक्रिया सामने आई है।विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा, "सेक्युलर सिविल कोड के विरोधी भी विचित्र हैं। जो कानून अभी बना ही नहीं या फिर आया ही नहीं, उस पर इतनी हाय-तौबा क्यों मची है? यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर तरह-तरह के कुतर्क गढ़े जा रहे हैं। संविधान का अनुच्छेद 44, समान अधिकार व समान नागरिक संहिता की बात करता है। कई उच्च न्यायालयों और सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में कई बार कहा जा चुका है कि हमारे जो अलग-अलग कानून हैं, उनमें विरोधाभास है। साथ ही यह किसी धर्म से जुड़ा मामला नहीं है।

विश्व हिंदू परिषद का कहना है कि जहां पर यह दशकों से लागू है, वहां किसी को कोई समस्या नहीं तो अब क्या सिर्फ इसके विरोध के लिए आवाजें उठ रही हैं। इसका विरोध करने वाले क्या बाल विरोधी, महिला विरोधी, संविधान विरोधी या मानवाधिकार विरोधी नहीं हैं।

उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि सच्चे मायने में जो अभी तक खुद को धर्मनिरपेक्ष कहते थे, क्या वही सच्चे सांप्रदायिक नहीं? यूनिफॉर्म सिविल कोड की बात आती है तो निश्चित रूप से नारी के सशक्तीकरण की बात आती है, परिवार व्यवस्था को सुदृढ़ करने की बात आती है, बच्चों को अधिकार देने की बात आती है। कुछ लोग नारी व बाल अधिकार विरोधी हैं। उनको लगता है कि उनकी जमीन उनके पैरों तले से खिसक रही है, जो विरोध कर रहे हैं आखिर वे किस बात पर विरोध कर रहे हैं? सबसे बड़ी बात तो यह है कि अभी तक कानून आया ही नहीं।

उन्होंने यूनिफॉर्म सिविल कोर्ट को लेकर उत्तराखंड और गोवा का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, "उत्तराखंड ने हाल ही में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू किया। गोवा में दशकों से यूनिफॉर्म सिविल कोड है। वहां किसी को इससे कोई नुकसान या समस्या नहीं हुई। इसका किसी धर्म से कुछ लेना-देना नहीं है। कुछ लोग हैं, जो हलाला की मलाई खाना चाहते हैं। कुछ लोग हैं, जो महिलाओं और बच्चों को वह अधिकार नहीं देना चाहते, जो देश के अन्य लोगों के पास हैं।"

उन्होंने आगे कहा, "यह बाल अधिकारों, महिला अधिकारों, परिवार व्यवस्था, भारतीय संस्कृति, स्वाभिमान और जीवन मूल्य से जुड़ा मुद्दा है। इसका विरोध वही कर सकते हैं, जो वास्तव में संविधान विरोधी, देश विरोधी और देश की संस्कृति के विरोधी हैं। महिलाओं व बच्चों पर जो अत्याचार अभी हो रहे थे। यूनिफॉर्म सिविल कोड आने से उन्हें इनसे निजात मिलेगी।"

--आईएएनएस

जीसीबी/एफएम/एबीएम

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