नई दिल्ली, 20 सितंबर (आईएएनएस)। दुनियाभर में अहिंसा का संदेश देने के लिए संयुक्त राष्ट्र की ओर से हर साल 21 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस मनाया जाता है। इसमें यह कोशिश रहती है कि दुनिया के कोने-कोने तक अमन और शांति का संदेश पहुंचाया जा सके। इस बार की थीम ‘कल्टिवेटिंग ए कल्चर ऑफ पीस’ रखी गई है। देश में अमन और शांति कायम करने के लिए आज के समय में कई सारी संस्थाएं मौजूद हैं। ऐसी ही एक संस्था ‘मेन वेलफेयर ट्रस्ट’ के अध्यक्ष अमित लखानी से आईएएनएस ने बात की।
समाज में शांति कायम करने को लेकर उनकी संस्था पिछले कई सालों से समाज के लिए काम कर रही है।
अमित लखानी ने कहा, ''दुनियाभर में 21 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस मनाया जाता है। इस दिन लोगों में शांति कायम करने की भावना को जगाया जाता है। हम भी इस ओर काम कर रहे हैं। हमारा मकसद रहता है कि हम सबसे पहले परिवार के स्तर पर शांति कायम करने की मुहिम पर काम करें।''
उन्होंने बताया, ''जब हम शांति की बात करते हैं तो सबसे पहले परिवार का नाम आता है, क्योंकि एक परिवार ही व्यक्ति की सबसे बड़ी ताकत होती है। समाज को शांति का संदेश देने से पहले जरूरी है कि सबसे पहले इसकी शुरूआत परिवार से की जाए।''
उन्होंने आगे कहा, ''लोग धीरे-धीरे पश्चिमी संस्कृति को अपना रहे हैं, जिससे परिवार छोटे हो रहे हैं। परिवारों में बड़े लोगों के न होने से आए दिन पति-पत्नी में झगड़े होते हैं। यह झगड़े इतने बढ़ जाते हैं कि नौबत तलाक तक पहुंच जाती है।''
अमित ने कहा कि हम अपनी संस्था के माध्यम से लोगों को यह संदेश देने का काम करते हैं कि वह अपने जीवन और समाज में शांति बनाए रखने में अपना योगदान दें। इसके लिए हम समय-समय पर कई तरह के सेमिनार का भी आयोजन करते हैं, क्योंकि जब घर में शांति कायम होगी तभी समाज में भी अमन और शांति बनाई जा सकेगी।
विश्व शांति दिवस मनाने की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र ने 1981 में की थी। पहली बार इसे 1982 में दुनियाभर में मनाया गया।
सफेद कबूतर को शांति का दूत कहा जाता है। विश्व शांति दिवस पर कई लोग सफेद कबूतर को उड़ाकर समाज में अमन और शांति बनाए रखने का संदेश देते हैं।
--आईएएनएस
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