जयपुर, 21 सितंबर (आईएएनएस)। तिरुपति मंदिर के लड्डुओं में पशुओं की चर्बी और मछली का तेल पाए जाने को लेकर चल रहे विवाद के बीच, राजस्थान के खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा मंदिरों में भोग और प्रसाद की गुणवत्ता की जांच के लिए 23 से 26 सितंबर तक एक विशेष अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान के तहत सवामणी और मंदिरों में नियमित रूप से दिए जाने वाले प्रसाद के नमूनों की जांच की जाएगी। खाद्य सुरक्षा विभाग के अतिरिक्त आयुक्त पंकज ओझा ने बताया, "मुख्यमंत्री की पहल पर राजस्थान में चलाए जा रहे 'शुद्ध आहार, मिलावट पर वार' अभियान के तहत यह जांच की जाएगी। इसमें सभी बड़े मंदिरों में जहां प्रतिदिन भोग के रूप में प्रसाद बनता है, वहां खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता की जांच की जाएगी।"
अब तक राज्य के 54 मंदिरों ने भोग प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया है। प्रसाद की गुणवत्ता के साथ-साथ स्वच्छता की भी जांच की जाएगी। इसके लिए राजस्थान के संबंधित विभागों को सूचित कर दिया गया है। यह अभियान एक विशेष टीम द्वारा चलाया जाएगा।
भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने 'ईट राइट' पहल के तहत भोग के लिए प्रमाणन योजना शुरू की है। इस योजना के तहत धार्मिक स्थलों पर प्रसाद और खाद्य पदार्थ बेचने वाले विक्रेताओं को प्रमाण पत्र दिया जाता है। यह प्रमाण पत्र उन मंदिरों और धार्मिक स्थलों को दिया जाता है, जो खाद्य सुरक्षा मानकों का पालन करते हैं।
खाद्य सुरक्षा एवं औषधि नियंत्रण विभाग जयपुर द्वारा अब तक राजस्थान के 54 धार्मिक स्थलों एवं मंदिरों को भोग प्रमाण-पत्र के लिए पंजीकृत किया जा चुका है। जयपुर का मोती डूंगरी गणेश मंदिर भोग प्रमाण-पत्र प्राप्त करने वाला पहला धार्मिक स्थल है। इस प्रकार का प्रमाण-पत्र प्राप्त करने वाले धार्मिक स्थल पर दिया जाने वाला प्रसाद एफएसएसएआई के मानकों एवं गुणवत्ता आश्वासन की पुष्टि करता है।
इस प्रमाण पत्र का नवीनीकरण हर छह महीने में ऑडिट के बाद किया जाता है। प्रमाण पत्र के लिए एफएसएसएआई की टीम मंदिर की रसोई के मानकों का निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार करती है।
--आईएएनएस
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