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स्पेस में भी होगी भारतीय वायु सेना, डिफेंस मिनिस्ट्री को भेजा प्रस्ताव

प्रकाशित 24/11/2023, 02:26 am
स्पेस में भी होगी भारतीय वायु सेना, डिफेंस मिनिस्ट्री को भेजा प्रस्ताव

नई दिल्ली, 23 नवंबर (आईएएनएस)। रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि भविष्य के युद्ध न केवल जमीन, समुद्र और आसमान में होंगे, बल्कि स्पेस (अंतरिक्ष) भी इसका एक हिस्सा होगा। इसी को देखते हुए आने वाले दिनों में भारतीय वायु सेना का एक नया अवतार देखने को मिल सकता है। वायु सेना 'स्पेस फोर्स' बनने की दिशा में अग्रसर है। इंडियन एयर फोर्स ने स्पेस में कदम रखने की तैयारी भी शुरू कर दी है। दरअसल, वायु सेना ने अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर स्पेस के समुचित व सदुपयोग का इरादा बनाया है। इसके लिए वायु सेना ने इंफ्रास्ट्रक्चर और थिओरेटिकल फ्रेमवर्क भी तैयार किया है। इस नई भूमिका में भारतीय वायु सेना का नया नाम 'इंडियन एयर एंड स्पेस फोर्स' हो सकता है।

फिलहाल, नए नाम का प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय को भेज दिया गया है। स्पेस फोर्स के लिए स्पेस सैटेलाइट का एक बड़ा बेड़ा तैयार किया जाना है। इसके लिए 31 सैटेलाइट स्पेस में भेजे जाएंगे। इनका उपयोग कम्युनिकेशन, वेदर प्रिडिक्शन, नेवीगेशन, रियल टाइम सर्विलांस जैसे ऑपरेशन के लिए किया जाएगा।

जानकारी के मुताबिक स्पेस में भेजे जाने वाले इन 31 सेटेलाइट की लॉन्चिंग का 60 फीसदी खर्च वायुसेना उठाएगी। इसरो और डीआरडीओ पर लॉन्चिंग की जिम्मेदारी रहेगी। साथ ही डीआरडीओ की मदद से भारतीय वायु सेना के लिए ऐसे एयर क्राफ्ट तैयार किए जाएंगे, जो हवा और स्पेस दोनों में काम कर सकते हैं।

भारतीय वायु सेना ने केंद्र सरकार की डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस एजेंसी की मदद से स्पेस डॉक्ट्रिन तैयार किया है। इसमें स्पेस मिलिट्री पावर से जुड़े नियमों और गाइडलाइंस को शामिल किया गया है।

बात यह है कि फिलहाल स्पेस का सैन्य उपयोग प्रतिबंध है। इसलिए भारतीय वायु सेना के अधिकारियों को स्पेस संबंधी अंतरराष्ट्रीय कानून की जानकारी और प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस प्रशिक्षण में इंडियन एयर फोर्स जवानों को सिखाया जाएगा कि वे किस तरह स्पेस से अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन करते हुए स्पेस का सही इस्तेमाल करें।

वायु सेना के जवान स्पेस मिशन के लिए विशेष ट्रेनिंग भी हासिल करेंगे। स्पेस मिशन के लिए हैदराबाद में स्पेस वॉर ट्रेनिंग कमांड सेंटर बनाया जा रहा है। इस केंद्र में कानून की जानकारी और प्रशिक्षण के लिए बाकायदा एक कॉलेज होगा। इस मिशन के लिए सेना के तीनों अंगों की ज्वाइंट स्पेस कमान की मांग भी की जा रही है। इस कमान में नेवी, आर्मी और एयरफोर्स के अलावा डीआरडीओ और इसरो को भी शामिल किया जाएगा।

--आईएएनएस

जीसीबी/एबीएम

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