💎 आज के बाजार में सबसे स्वस्थ कंपनियों को देखेंशुरू करें

झारखंड में भी तेज होगी आरक्षण की सियासत, दोबारा आ सकता है 77 फीसदी आरक्षण का बिल

प्रकाशित 24/11/2023, 08:06 pm
झारखंड में भी तेज होगी आरक्षण की सियासत, दोबारा आ सकता है 77 फीसदी आरक्षण का बिल

रांची, 24 नवंबर (आईएएनएस)। बिहार में आरक्षण का प्रतिशत बढ़ाए जाने का कानून लागू होने के बाद झारखंड में भी इस मसले पर सियासत फिर तेज होने वाली है। झारखंड सरकार ने पिछले साल नवंबर में विशेष सत्र बुलाकर राज्य में आरक्षण का प्रतिशत 77 फीसदी करने का बिल पारित किया था, लेकिन राज्यपाल की आपत्ति के कारण यह कानून का रूप नहीं ले सका। संकेत मिल रहे हैं कि विधानसभा के आगामी शीतकालीन सत्र में सरकार यह बिल दोबारा पारित कर राज्यपाल को भेज सकती है। दरअसल, राज्य सरकार द्वारा पारित कराए गए ‘झारखंड में पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण संशोधन विधेयक-2022’ में पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को मिलने वाले आरक्षण को 14 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने का प्रस्ताव था।

इसी तरह अनुसूचित जाति (एससी) को मिलने वाला आरक्षण 10 से बढ़ाकर 12 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति (एसटी) का आरक्षण 26 से बढ़ाकर 28 प्रतिशत करने का प्रावधान किया गया था। इसके अलावा आर्थिक रूप से पिछड़े (ईबीसी) लोगों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था पहले से लागू है। यह बिल मंजूर होने की सूरत में कुल मिलाकर राज्य में आरक्षण का प्रतिशत 60 से बढ़कर 77 प्रतिशत हो जाता।

झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने आरक्षण का प्रतिशत बढ़ाने से संबंधित बिल राज्य सरकार को लौटाते हुए भारत सरकार के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी के परामर्श को आधार बनाया था। राजभवन के मुताबिक अटॉर्नी जनरल ने अपने मंतव्य में आरक्षण बढ़ाने के प्रस्ताव को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों और कई अन्य न्यायादेशों के विपरीत बताया था।

राज्यपाल ने इस आधार पर सरकार को बिल वापस करते हुए उसकी समीक्षा करने का निर्देश दिया था। राज्यपाल की ओर से लौटाए गए इस बिल को राज्य सरकार दोबारा पारित कराना चाहती है, लेकिन इसमें एक अड़चन है।

दरअसल, संविधान के अनुच्छेद 200 के अंतर्गत यह व्यवस्था है कि राज्यपाल जिन विधेयकों को लौटाते हैं, उसके साथ अपनी आपत्ति के बिंदुओं पर नोटिंग करते हुए पुनर्विचार के लिए कहते हैं। सरकार का कहना है कि राज्यपाल ने आरक्षण संबंधित विधेयक लौटाते हुए कोई संदेश (नोटिंग) नहीं दिया है। यह नोटिंग जरूरी है, क्योंकि इसी के आधार पर दोबारा विधेयक पारित कराए जा सकेंगे।

राज्य सरकार की ओर से बनाई गई समन्वय समिति राजभवन को ज्ञापन सौंपकर राज्यपाल से आग्रह कर चुकी है कि वे विधेयकों को नोटिंग के साथ लौटाएं। सीएम हेमंत सोरेन कई बार कह चुके हैं कि उनकी सरकार आरक्षण के साथ-साथ 1932 के खतियान (भूमि सर्वे) पर आधारित डोमिसाइल पॉलिसी पर अपने स्टैंड पर अडिग है। जाहिर है, इन दोनों बिलों को लेकर आने वाले दिनों में सियासत तेज होगी।

--आईएएनएस

एसएनसी/एबीएम

नवीनतम टिप्पणियाँ

हमारा ऐप इंस्टॉल करें
जोखिम प्रकटीकरण: वित्तीय उपकरण एवं/या क्रिप्टो करेंसी में ट्रेडिंग में आपके निवेश की राशि के कुछ, या सभी को खोने का जोखिम शामिल है, और सभी निवेशकों के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता है। क्रिप्टो करेंसी की कीमत काफी अस्थिर होती है एवं वित्तीय, नियामक या राजनैतिक घटनाओं जैसे बाहरी कारकों से प्रभावित हो सकती है। मार्जिन पर ट्रेडिंग से वित्तीय जोखिम में वृद्धि होती है।
वित्तीय उपकरण या क्रिप्टो करेंसी में ट्रेड करने का निर्णय लेने से पहले आपको वित्तीय बाज़ारों में ट्रेडिंग से जुड़े जोखिमों एवं खर्चों की पूरी जानकारी होनी चाहिए, आपको अपने निवेश लक्ष्यों, अनुभव के स्तर एवं जोखिम के परिमाण पर सावधानी से विचार करना चाहिए, एवं जहां आवश्यकता हो वहाँ पेशेवर सलाह लेनी चाहिए।
फ्यूज़न मीडिया आपको याद दिलाना चाहता है कि इस वेबसाइट में मौजूद डेटा पूर्ण रूप से रियल टाइम एवं सटीक नहीं है। वेबसाइट पर मौजूद डेटा और मूल्य पूर्ण रूप से किसी बाज़ार या एक्सचेंज द्वारा नहीं दिए गए हैं, बल्कि बाज़ार निर्माताओं द्वारा भी दिए गए हो सकते हैं, एवं अतः कीमतों का सटीक ना होना एवं किसी भी बाज़ार में असल कीमत से भिन्न होने का अर्थ है कि कीमतें परिचायक हैं एवं ट्रेडिंग उद्देश्यों के लिए उपयुक्त नहीं है। फ्यूज़न मीडिया एवं इस वेबसाइट में दिए गए डेटा का कोई भी प्रदाता आपकी ट्रेडिंग के फलस्वरूप हुए नुकसान या हानि, अथवा इस वेबसाइट में दी गयी जानकारी पर आपके विश्वास के लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं होगा।
फ्यूज़न मीडिया एवं/या डेटा प्रदाता की स्पष्ट पूर्व लिखित अनुमति के बिना इस वेबसाइट में मौजूद डेटा का प्रयोग, संचय, पुनरुत्पादन, प्रदर्शन, संशोधन, प्रेषण या वितरण करना निषिद्ध है। सभी बौद्धिक संपत्ति अधिकार प्रदाताओं एवं/या इस वेबसाइट में मौजूद डेटा प्रदान करने वाले एक्सचेंज द्वारा आरक्षित हैं।
फ्यूज़न मीडिया को विज्ञापनों या विज्ञापनदाताओं के साथ हुई आपकी बातचीत के आधार पर वेबसाइट पर आने वाले विज्ञापनों के लिए मुआवज़ा दिया जा सकता है।
इस समझौते का अंग्रेजी संस्करण मुख्य संस्करण है, जो अंग्रेजी संस्करण और हिंदी संस्करण के बीच विसंगति होने पर प्रभावी होता है।
© 2007-2024 - फ्यूजन मीडिया लिमिटेड सर्वाधिकार सुरक्षित