कोलकाता, 1 दिसंबर (आईएएनएस)। कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल के दक्षिण दिनाजपुर जिले के बोल्ला गांव में काली पूजा के अवसर पर 10 हजार बकरों की बलि देने वाले धार्मिक कार्यक्रम के खिलाफ दायर याचिका पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।मुख्य न्यायाधीश टी.एस. शिवगणनम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की पीठ ने कहा कि चूंकि इस मामले से कई लोगों की आस्था जुड़ी हुई है, इसलिए अदालत इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती।
यह याचिका काली पूजा के अवसर पर 10 हजार बकरों की बलि से संबंधित थी। एक गैर-सरकारी संगठन ने बलि पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए खंडपीठ में एक जनहित याचिका दायर की और बताया कि बलि उचित लाइसेंस के बिना होती है।
याचिकाकर्ता के वकील ने दावा किया कि राज्य सरकार को जानवरों पर क्रूरता रोकने के लिए इस तरह की प्रथा पर प्रतिबंध लगाने की पहल करनी चाहिए।
मामले में हस्तक्षेप करने और इस प्रथा पर प्रतिबंध लगाने से इनकार करने के बावजूद, खंडपीठ ने यह भी निर्देश दिया कि पूजा समिति को कानून का पालन करना चाहिए।
पूजा समिति को अगले साल मार्च तक कलकत्ता उच्च न्यायालय को एक रिपोर्ट देनी है।
पीठ ने अपने अवलोकन में इस साल मई में जल्लीकट्टू उत्सव के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी हवाला दिया, जिसमें उत्सव की अनुमति देने वाले कानूनों को बरकरार रखा गया था। खंडपीठ ने पश्चिम बंगाल के कुछ इलाकों में मुर्गों की लड़ाई की घटनाओं का भी जिक्र किया।
--आईएएनएस
एकेजे