भोपाल, 29 दिसंबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। साथ ही वह विधानसभा की उन सीटों का भी अध्ययन कर रही है जहां उसे हार का सामना करना पड़ा है।सबसे ज्यादा संकट में वे सांसद हैं जो विधानसभा चुनाव हार गए। राज्य की 230 विधानसभा सीटों पर हुए चुनाव में भाजपा को 163 सीटों पर जीत मिली है, वहीं 67 सीटों पर भाजपा को सफलता नहीं मिली। भाजपा का ज्यादा फोकस अब इन्हीं सीटों पर है।
बीते रोज संगठन ने इन हारे हुए उम्मीदवारों को पार्टी दफ्तर तलब किया और उनसे हार की वजह जानी।
तमाम उम्मीदवारों ने अपनी हार के कारण बताए, तो वहीं संगठन ने उन्हें अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय रहने की हिदायत दी है।
पार्टी विकसित भारत संकल्प यात्रा निकाल रही है। इस यात्रा के लिए विधानसभा बार एंबेसडर भी नियुक्त किए जा रहे हैं और पार्टी ने चुनाव हारने वालों को भी यह एंबेसडर बनाने का फैसला लिया है।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि आगामी लोकसभा चुनाव के उम्मीदवारों के चयन को लेकर पार्टी सर्वे कर रही है। वर्तमान सांसदों का ब्यौरा भी जुटा रही है। राज्य की 29 में से 28 सीटों पर भाजपा का कब्जा है।
भाजपा ने तीन केंद्रीय मंत्रियों सहित सात सांसदों को विधानसभा के चुनाव मैदान में उतारा था, जिनमें से पांच तो जीत गए, मगर दो को हार का सामना करना पड़ा।
चुनाव हारने वालों में सतना के सांसद गणेश सिंह और मंडला के सांसद व केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते हैं। इन दोनों ही सांसदों को अगली बार मौका मिलेगा या नहीं, यह बड़ा सवाल है।
पार्टी के ही लोगों का तर्क है कि यह दो सांसद जब अपने संसदीय क्षेत्र के विधानसभा क्षेत्र से चुनाव हार गए हैं तो क्या गारंटी है कि वह लोकसभा का चुनाव जीत जाएंगे।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा के लिए आगामी लोकसभा चुनाव के उम्मीदवारों का चयन बहुत आसान नहीं है क्योंकि सात सांसदों को विधानसभा चुनाव लड़ाया गया और उनमें से दो चुनाव हार गए। पार्टी अगर विधानसभा का चुनाव हार चुके सांसदों को मैदान में उतरती है तो अच्छा संदेश नहीं जाएगा। इसके साथ ही ऐसा परसेप्शन पहले ही बन जाएगा कि जो विधानसभा का चुनाव नहीं जीते वे लोकसभा का कैसे जीतेंगे।
लिहाजा पार्टी को इन स्थानों पर नए चेहरों पर दांव लगाना ही होगा।
--आईएएनएस
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