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उत्तर प्रदेश विधानसभा सत्र : शहरी और ग्रामीण निकाय मद मामले में सपा ने किया वॉकआउट

प्रकाशित 08/02/2024, 11:05 pm
उत्तर प्रदेश विधानसभा सत्र : शहरी और ग्रामीण निकाय मद मामले में सपा ने किया वॉकआउट

लखनऊ, 8 फरवरी (आईएएनएस)। समाजवादी पार्टी ने गुरुवार को विधानसभा में शहरी और ग्रामीण निकायों में राज्य वित्त आयोग से आवंटित धनराशि को घटाने तथा इस मद का पैसा दूसरी मदों में लगाने का मामला उठाया। सरकार के जवाब से असंतुष्ट होकर सपा के सदस्यों ने सदन से वॉकआउट कर दिया। विधानसभा में नगर विकास मंत्री एके शर्मा ने कहा कि निकाय संस्थाओं के विकास पर खर्च होने वाली धनराशि में कोई कटौती नहीं हुई।

शून्य काल में सपा के सदस्य कमाल अख्तर सहित अन्य सदस्यों ने कहा कि प्रदेश के 80,000 जनप्रतिनिधियों के अधिकारों का राज्य वित्त आयोग द्वारा हनन किया जा रहा है। शहरी और निकाय संस्थाओं के विकास, उसके कर्मचारियेां को मिलने वाले वेतन आदि की जो धनराशि राज्य वित्त आयोग से दी जाती है, उसका उपयोग अन्य मदों में किया जा रहा है।

सपा सदस्य कमाल अख्तर ने सरकार पर आरोप लगाया कि निकाय संस्थाओं के चुने गए जनप्रतिनिधियों के अधिकारों में भी कटौती की जा रही है। सपा के ही वरिष्ठ सदस्य मनोज कुमार पांडेय ने कहा कि जिस हिसाब से निकाय संस्थाओं का क्षेत्रफल बढ़ा है, उस हिसाब से राज्य वित्त आयोग द्वारा मिलने वाली धनराशि पर्याप्त होना तो दूर उसमें भी कटौती हो रही है। सपा सदस्य रविदास मेहरोत्रा ने कहा कि 13 साल से आबादी के हिसाब से धन आवंटन नहीं किया गया है। राजधानी लखनऊ में धनाभाव में नालों और सीवरों की सफाई नहीं हो पा रही है।

इस मुद्दे पर सपा के ही सदस्य इरफान ने मांग की कि प्रधानों को अधिकाधिक धन आवंटन किया जाए ताकि ग्रामीण क्षेत्रों का सर्वांगीण विकास हो सके।

जवाब में नगर विकास मंत्री एके शर्मा ने कहा कि राज्य वित्त आयोग की संस्तुतियों के अनुरूप ही छह नगरीय और 40 ग्रामीण निकायों को क्षेत्र में विकास कार्यो के लिए पर्याप्त धनराशि दी जा रही है। निकाय संस्थाओं के विकास के लिए राज्य सरकार ने सीएमएनएसवाई योजना शुरू की है। जहां तक विपक्ष के सदस्यों का आरोप है कि निकाय संस्थाओं के विकास की धनराशि का उपयोग गौशालाओं में किया जा रहा है तो ऐसा नहीं है। उसके लिए अलग से प्रावधान है।

नगर विकास मंत्री के इस जवाब से असंतुष्ट होकर सपा के सदस्यों ने सदन से वॉकआउट किया।

दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी के सदस्य इंजीनियर सचिन यादव ने राज्य सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक प्रस्तुत होने से पूर्व कहा कि निजी विश्वविद्यालय केवल डिग्री बांटने का काम कर रहे हैं। इन निजी विश्वविद्यालय में प्रवेश और नियुक्तियों में आरक्षण नियमों की अनदेखी हो रही है। इन निजी विश्वविद्यालयों में यूजीसी के मानकों की अनदेखी हो रही है। सरकार को चाहिए ऐसी व्यवस्था इन निजी विश्वविद्यालयों में होनी चाहिए कि इनमें अध्ययन का भी कार्य होना चाहिए।

कांग्रेस की विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा मोना ने कहा कि 27 निजी विश्वविद्यालय स्थापित किए जा चुके हैं। निजी विश्वविद्यालय अनियंत्रित हो गए हैं। मनमानी नियुक्तियां हो रही है और भारी भरकम फीस ली जा रही है। यूजीसी के नियमों की अवहेलना हो रही है।

--आईएएनएस

विकेटी/एबीएम

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