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भारत के मुसलमान बाबर के रिश्तेदार नहीं, राम मंदिर बनने से हिंदू-मुसलमान सहित सभी खुश : सुनील आंबेकर

प्रकाशित 18/04/2024, 02:36 am
भारत के मुसलमान बाबर के रिश्तेदार नहीं, राम मंदिर बनने से हिंदू-मुसलमान सहित सभी खुश : सुनील आंबेकर

नई दिल्ली, 17 अप्रैल (आईएएनएस)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा है कि अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बनने से देश के मुस्लिम खुश नहीं हैं, इस तरह की कई भ्रांतियां फैलाई जा रही। जबकि, हकीकत यह है कि इससे हिंदू-मुसलमान सहित सब खुश हैं। उन्होंने कहा कि बाबर भारत के मुसलमान का रिश्तेदार नहीं है। राम मंदिर को भारत के मुसलमानों ने नहीं तोड़ा था, बल्कि, भारत के मुसलमान तो बाबर के पीड़ित रहे हैं। बहुत सारे लोग (मुसलमान) खुश हैं क्योंकि उन्हें समझ आ गया है कि उनकी रिश्तेदारी कहां और किससे है।

रामनवमी के अवसर पर श्रीराम जन्मभूमि के इतिहास और इससे जुड़े विभिन्न पहलुओं पर लिखी गई किताब और कॉमिक शैली में लिखी गई चित्रकथा के लोकार्पण कार्यक्रम में बोलते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि विश्व के इतिहास में सम्मान और स्वाभिमान के लिए इतना लंबा संघर्ष कभी नहीं हुआ, जितना अयोध्या रामजन्मभूमि के लिए हुआ।

उन्होंने कहा कि आज भी लोगों को लगता है कि सत्ता संघर्ष और राजनीति के कारण राम मंदिर बना, जबकि, यह गलत है। 500 वर्षों के लंबे संघर्ष के बाद सुप्रीम कोर्ट के फैसले की वजह से यह संभव हो पाया और मुस्लिम पक्ष भी इस फैसले के तहत दूसरी जगह दी गई जमीन को स्वीकार कर अपना काम कर रहा है।

आंबेकर ने कहा कि वास्तव में ऐसा लगता है कि राम का युग प्रारंभ हो गया और हम सब भाग्यशाली हैं कि ऐसे मौके पर हम सब उपस्थित हैं। उन्होंने रामनवमी के पावन पर्व पर अयोध्या में रामलला के हुए सूर्य तिलक को अद्भुत बताते हुए इसे आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से समाज की उपलब्धि बताया।

उन्होंने आगे कहा कि राम राज्य कल्पना नहीं है, इसे लाना और साकार करना संभव है। सत्ता के केंद्र और नेताओं से पहले समाज को सुधरना होगा। इसके साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि देश और समाज में अच्छे परिवर्तन लाने में देश के सामान्य लोगों ने बिना किसी लालच के अपना योगदान दिया है और आज देश के लोग भगवान राम के साथ खड़े हैं। सैकड़ों वर्षों के संघर्ष और मंदिर निर्माण में हुई देरी के संदर्भ का जिक्र करते हुए उन्होंने संघ के कामकाज के तौर-तरीकों के बारे में भी बताया।

उन्होंने कहा कि संघ 5 वर्ष के लिए काम नहीं करता है बल्कि समाज की मजबूत नींव के लिए हजारों वर्षों की सोच को लेकर काम कर रहा है। अस्तित्व, अस्मिता और पहचान के प्रश्न पर संघर्ष करना ही चाहिए और लोगों को राम मंदिर के निर्माण और संघर्ष से जुड़े सभी पहलुओं से अवगत कराने और समझाने के लिए इस तरह की और पुस्तकें प्रकाशित होनी चाहिए।

सुरुचि संस्थान के अध्यक्ष राजीव तुली ने इन पुस्तकों के बारे में बताते हुए कहा कि लेफ्ट विचारधारा ने भगवान श्रीराम के अस्तित्व को खारिज करने के लिए किताबों के माध्यम से कई तरह के झूठे नैरेटिव फैलाए, जिसे खारिज कर लोगों तक सच पहुंचाने के लिए ही सुरुचि प्रकाशन इस तरह की पुस्तकों को लगातार प्रकाशित कर रहा है और वह भी उस समय से प्रकाशित कर रहा है, जब कोई सोच भी नहीं सकता था कि अयोध्या में कभी भव्य राम मंदिर बनेगा और उसमें कभी रामलला विराजमान भी हो पाएंगे। लेकिन, यह सपना साकार हो गया है, अयोध्या में रामलला विराजमान हो चुके हैं और रामनवमी के पावन पर्व पर अयोध्या में रामलला का अद्भुत सूर्य तिलक किया गया।

रामजन्मभूमि को लेकर 500 वर्षों के सभ्यता के संघर्ष पर लिखी पुस्तक के लेखक अरुण आनंद और श्री रामजन्मभूमि पर कॉमिक शैली में लिखी गई चित्रकथा के लेखक अमित कुमार वार्ष्णेय ने कार्यक्रम में बोलते हुए अपनी-अपनी पुस्तक के संदर्भ के बारे में बताया। वहीं, आध्यात्मिक गुरु एवं साधो संघ के संस्थापक अनीश ने राम मंदिर के निर्माण से मिलने वाले आध्यात्मिक लाभ के बारे में विस्तार से बताया।

--आईएएनएस

एसटीपी/एबीएम

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