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शिमला में भूस्खलन के बाद सेब उत्पादक फसलों को नालों में फेंकने पर मजबूर

प्रकाशित 31/07/2023, 01:15 am
शिमला में भूस्खलन के बाद सेब उत्पादक फसलों को नालों में फेंकने पर मजबूर
SAIL
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शिमला, 30 जुलाई (आईएएनएस)। शिमला में असामान्य रूप से भारी मानसूनी बारिश के कारण बड़े पैमाने पर भूस्खलन हुआ और मुख्य रूप से आंतरिक क्षेत्रों में सड़कें अवरुद्ध हो गईं, जिससे हिमाचल प्रदेश से सेब के परिवहन में बाधा उत्पन्न हुई, जिससे उत्पादकों को फसल को नालों में फेंकने के लिए मजबूर होना पड़ा।एक प्रमुख फल उत्पादक ने रविवार को आईएएनएस को बताया, "सेब से लदे सैकड़ों ट्रक ऊपरी शिमला क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों में, खासकर जुब्बल, रोहड़ू, कोटखाई, चोपाल इलाकों में भूस्खलन के कारण लगभग एक पखवाड़े से फंसे हुए हैं।"

उन्होंने कहा, "सड़कों की हालत इतनी खराब है कि ट्रक चालक अपने वाहन चलाने से इनकार कर रहे हैं।"

वहीं, दूसरों का कहना है कि खराब मौसम और परिवहन समस्याओं के कारण सेब सड़ गए हैं।

रोहड़ू के उत्पादक दीपक मंटा ने कहा, "सेबों को नालों में फेंक दिया जा रहा है क्योंकि वे नष्ट होने लगे हैं।"

लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि भारी बारिश से सड़कों और पुलों को नुकसान पहुंचा है। पिछले हफ्ते, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के क्षेत्रीय अधिकारी अब्दुल बासित ने यहां राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला से मुलाकात की और उन्हें बाढ़ से हुए नुकसान की रिपोर्ट सौंपी।

हाल ही में बारिश के कारण आई बाढ़ में राष्ट्रीय राजमार्गों का अधिकतम हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है। उन्होंने कहा कि कीरतपुर-मनाली और कालका-शिमला राष्ट्रीय राजमार्गों को भारी नुकसान हुआ है और उन्हें बहाल करने के लिए रखरखाव और मरम्मत का काम युद्ध स्तर पर किया गया है।

विक्रमादित्य सिंह ने 20 जुलाई को दिल्ली में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात की और उन्हें राज्य भर में राष्ट्रीय राजमार्गों पर लगातार बारिश और बादल फटने से हुई तबाही से अवगत कराया। उन्होंने एनएचएआई को सौंपे गए क्षतिग्रस्त सड़कों और पुलों के अनुमान के लिए धन आवंटित करने का आग्रह किया।

राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र के अनुसार, पीडब्ल्यूडी को राज्य भर में 1,909 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। 24 जून से 29 जुलाई तक राज्य में कुल 72 भूस्खलन की घटनाएं और 52 अचानक बाढ़ की घटनाएं सामने आईं।

शिमला के अलावा, मंडी, कुल्लू और चंबा जिलों के अन्य सेब उत्पादक क्षेत्रों में स्थिति खराब होने की सूचना है।

कांग्रेस सरकार पर हमला करते हुए भाजपा नेता और आईटी सेल (NS:SAIL) प्रमुख अमित मालवीय ने डंपिंग का एक वीडियो ट्वीट किया, जिसमें कहा गया : "शिमला में सेब उत्पादकों को अपनी उपज को नाले में बहाने के लिए मजबूर होना पड़ता है, क्योंकि हिमाचल में कांग्रेस सरकार किसानों को बाजार तक फल पहुंचाने में मदद करने में विफल रही है।"

उन्होंने कहा, "एक तरफ राहुल गांधी किसानों के लिए आंसू बहाते हैं, दूसरी तरफ, जब किसानों की मदद की बात आती है तो कांग्रेस की राज्य सरकारें विनाशकारी साबित होती हैं। यही कारण है कि बाजार में फल और सब्जियां महंगी हैं।"

इस मुद्दे में शामिल होते हुए, राज्य भाजपा नेता और प्रमुख सेब उत्पादक चेतन बरागटाने ट्वीट किया, "पूरे साल किसान अपनी फसल तैयार करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं, और अगर उनकी फसल इस तरह खत्म हो जाती है तो यह बहुत दर्दनाक है। हम लगातार सरकार से आग्रह कर रहे हैं कि सेब संग्रह केंद्र और कनेक्टिविटी बहाल करें। लेकिन सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है, जिसके कारण बागवान अपना सेब नाले में फेंकने को मजबूर हैं।"

पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने शिमला जिले के अपने दौरे के दौरान कहा कि बारिश से सड़कों, बगीचों, घरों और उपजाऊ भूमि को काफी नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा, "प्रभावित लोगों से मिलने के बाद पता चला कि कांग्रेस सरकार ने अब तक मदद के नाम पर सिर्फ आश्‍वासन ही दिया है। हालांकि इस क्षेत्र के जनप्रतिनिधि सरकार में मंत्री भी हैं, लेकिन वह इस क्षेत्र का सुधार नहीं कर पा रहे हैं। शिमला से राज्य के कुल सेब उत्पादन का 80 प्रतिशत हिस्सा आता है।

राज्य की 90 प्रतिशत से अधिक सेब उपज घरेलू बाजार में जाती है। लेकिन किसान इस साल सेब की फसल के कुल उत्पादन को लेकर सशंकित हैं। उनका कहना है कि इस बार फसल में गिरावट हाल के वर्षों की उपज की तुलना में 70 प्रतिशत तक अधिक हो सकती है।

बागवानी विशेषज्ञों का कहना है कि देश में सेब और बादाम उत्पादन में दूसरे स्थान पर स्थित हिमाचल प्रदेश में खराब मौसम के कारण स्वाद में गिरावट के अलावा फसल में 30-35 प्रतिशत की गिरावट देखी जा सकती है।

उत्पादकों का कहना है कि नुकसान 50 से 60 प्रतिशत तक हो सकता है। किसानों के अनुसार, कई हफ्तों तक बर्फ रहित सर्दी और वसंत की शुरुआत के साथ गीला मौसम फसल के नुकसान का कारण है। इसका असर लोअर और मिड बेल्ट पर ज्यादा देखने को मिल रहा है।

फसल जुलाई में पक जाएगी और अक्टूबर के अंत तक चलेगी। आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 के अनुसार, राज्य में दिसंबर 2022 तक 674,000 टन सेब का उत्पादन हुआ।

पिछले 13 वर्षों में, 275,000 टन की सबसे कम फसल 2011-12 में थी, जबकि 2010-11 में सबसे अधिक 892,000 टन फसल हुई।

--आईएएनएस

एमकेएस/एसजीके

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